जुलाई 02, 2017

POST : 578 कलमकार की चाहत ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

     कलमकार की चाहत (  कविता ) डॉ लोक सेतिया  

आपको किसी कवि से शायर से
किसी कथाकार से ग़ज़लकार से
हो गई है अगर मुहब्बत सच्ची
दर्द उसके अपने समझना ख़ुशी ।

शायद नहीं देगा वो महंगा उपहार
बस इक फूल देकर करेगा इज़हार
पर महक रहेगी उस फूल की सदा
आपको दिल की जगह लेगा बसा ।

उसकी कहानी शुरू तुमसे होगी
ग़ज़ल तुम्हीं पर कविता तुम होगी
हर लफ्ज़ में तुम्हारा नाम होगा
आशिक़ तेरा है क्यों बदनाम होगा ।

ज़माना कभी नहीं जान पाएगा राज़
लिखी उसने ज़माने की बता के बात
नहीं आपको मौत भी खत्म कर सकती
हर रचना में ज़िंदा रहेगी दोनों हस्ती ।

कभी मगर नहीं इक बात करना आप
उसकी रचनाओं को सौतन न समझना
बड़ी खूबसूरत जगह है प्यार वाली
रहती वहीं आप ख़ुशी खशी ही रहना ।
 

 


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