कलमकार की चाहत ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
आपको किसी कवि से शायर से
किसी कथाकार से ग़ज़लकार से
हो गई है अगर मुहब्बत सच्ची
दर्द उसके अपने समझना ख़ुशी ।
शायद नहीं देगा वो महंगा उपहार
बस इक फूल देकर करेगा इज़हार
पर महक रहेगी उस फूल की सदा
आपको दिल की जगह लेगा बसा ।
उसकी कहानी शुरू तुमसे होगी
ग़ज़ल तुम्हीं पर कविता तुम होगी
हर लफ्ज़ में तुम्हारा नाम होगा
आशिक़ तेरा है क्यों बदनाम होगा ।
ज़माना कभी नहीं जान पाएगा राज़
लिखी उसने ज़माने की बता के बात
नहीं आपको मौत भी खत्म कर सकती
हर रचना में ज़िंदा रहेगी दोनों हस्ती ।
कभी मगर नहीं इक बात करना आप
उसकी रचनाओं को सौतन न समझना
बड़ी खूबसूरत जगह है प्यार वाली
रहती वहीं आप ख़ुशी खशी ही रहना ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें