रावण बहुत हैं पर श्रीराम कहां हैं ( कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया
श्री राम कहां गये , रावण को जलाना है , राम कहीं नज़र ही नहीं आ रहे । युद्ध जारी है दोनों तरफ ही रावण हैं आमने सामने लड़ते हुए । जीत रावण की ही होगी , रावण मरेगा फिर भी ज़िंदा रहेगा , लंका में हो चाहे अयोध्या में राजतिलक रावण का ही होगा । कोई भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तलाश नहीं करना चाहता , सब ने मान लिया है इस युग में वो मिल ही नहीं सकते , सभी अपने अपने रावण को राम घोषित कर रहे हैं । नया इतिहास लिखा जाना है फिर से इक नई रामायण लिखनी है , कलयुगी तुलसीदास खोज लिये गये हैं । इन्होंने कितने ही नामों पर चालीसे लिख डाले हैं साहित्य में नाम कमाने को । रावण हर शहर में है और पिछले साल से अधिक ऊंचे कद का है , हर रावण को जलाने को और भी रावण हैं जो खुद को राम कहलाना चाहते हैं । उन सभी के पास अपना अपना तुलसी है जो उनको मर्यादा पुरुषोत्तम बता सकता है । बड़ी समस्या खड़ी हो गई है जनता को समझ ही नहीं आ रहा इतने रावणों में से किसको अपना राम समझे और उसकी वंदना करे । जनता की मज़बूरी है उसको आरती उतारनी ही है चाहे कोई भी मिल जाये बिना किसी को भगवान बनाये उसका गुज़ारा नहीं हो होता । जनता भेस देखती है , चरित्र को नहीं पहचानती , राम का भेस धरे खड़े हैं हर तरफ रावण , जनता है कि बंट गई है । हर रावण की जय - जयकार करने वाले लोग हैं , सभी का अपना अपना स्वार्थ जुड़ा हुआ है , किसी न किसी के साथ । इक बात सभी की एक समान है , हर राम अकेला है , किसी के साथ लक्ष्मण नहीं है , न सीता ही है , हनुमान कौन है कोई नहीं जानता । जंग भी सीता को लेकर नहीं है , कुर्सी नाम की वस्तु को लेकर लड़ रहे हैं सब । सभी का दावा है वही कुर्सी का सही हकदार है , हक साबित करने की अपनी अपनी परिभाषा भी सब की है , देश और जनता की भलाई को छोड़ बाकी सब उनको याद है । कलयुग में किसी को किसी का भरोसा नहीं है , भाई हो या पत्नी , चाहे कोई मित्र , कुर्सी की खातिर सभी बदल सकते हैं , इसलिये उनका त्याग भी किया जा सकता है । कुछ नये अवतार सामने आये हैं जो सब को निर्देश देते हैं कि जैसा हम बतायें वैसा ही विश्वास करें , जो भी हमारी बात से सहमत नहीं होगा उसको रावण साबित कर दिया जायेगा और उसी को आग के हवाले कर देंगे । खुद को राम घोषित करवाने को सभी उनकी बात का समर्थन कर रहे हैं । इन अवतारों का कहना है कि जो भी ये कहते हैं वही जनता का अभिमत है , उनका अपना सर्वेक्षण है अपनी बात को सच साबित करने को । कोई इनके अवतार होने पर शक नहीं कर सकता , जो ऐसा प्रयास करे वो पापी है झूठा है , नासमझ और नादान भी जो उनकी ताकत को नहीं पहचानता उनकी महिमा को समझना नहीं चाहता । वाकयुद्ध इनका ब्रह्मास्त्र है और उसका उपयोग करने में ये पारंगत हैं , इनका मानना है अब यही सब से बड़ा हथियार है । इनको एक ब्यान से कितने लोगों पर निशाना लगाना आता है , कोई इनका सामना करना नहीं चाहता । इनका झूठ ही आजकल सच कहलाता है । इनकी भी सेना है जो लड़ती रहती है छदम युद्ध सभी से , ये सभी सेनापति हैं , इनका सैनिक कोई भी नहीं है । मगर इनको इक मंत्र आता है जिसको जपकर ये जनता को अपना समर्थक बना लेते हैं , ये कहकर कि हम आपकी लड़ाई लड़ रहे हैं । इनको हर हाल में जीतना है , जीतने को सब कुछ करने को तत्पर हैं । ये हार भी जायें तब भी अपनी हार नहीं स्वीकार करते , हार को जीत साबित कर देते हैं ।
आज युद्ध अच्छाई की बुराई पर जीत की खातिर नहीं है । सवाल किसी बुरे को भला साबित करना है , ताकि किसी रावण को राम घोषित किया जा सके जो खुद अपने को जलाने का चमत्कार दिखा कर भी कभी मरे नहीं ज़िंदा ही रहे । सभी अपने भीतर के रावण को बचाये रखना चाहते हैं , अहंकार रुपी रावण खत्म होता ही नहीं है । ये नया कुरुक्षेत्र है , किसी को धर्म की रक्षा नहीं करनी है , सब को राज्य पाकर जनता रुपी द्रोपती का चीरहरण करना है । सब व्याकुल हैं राजतिलक करवाने को , जीत की वरमाला पहनने का सपना हर किसी का है । बेबस जनता छली जाती है बार बार , फिर उसका चयन गलत साबित होता है , योग्य वर होता ही नहीं उसके पास कभी । मगर उसको जयमाला पहनानी ही पड़ती है , इनकार करने का अधिकार उसको नहीं है । काश अब के वो साफ कह दे साहस करके कि तुम सभी एक जैसे हो , मुझे तुम में किसी को वरमाला नहीं डालनी है । तुम में राम कोई भी नहीं है । अब मुझे न कोई अग्निपरीक्षा देनी है न ही धरती में समाना है । मैं इस युग की नारी निडर हो कर कहती हूं , तुम सभी ही रावण हो राम नहीं हो । आज सीता कहीं भी सुरक्षित नहीं है न वन में न ही महलों ही में । नई रामायण लिखने वालो पहले जाओ कहीं से तलाश कर ढूंढ लाओ राम को । किस ने हरण कर लिया है श्री राम जी का , जनता रुपी सीता पूछती है कहां हैं श्री राम ।

1 टिप्पणी:
बढ़िया आलेख लोग अपनी बुराइयाँ नहीं मारते बस रावण को जला देते हैं
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