मई 27, 2017

सफर फेसबुक का ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया

        सफर फेसबुक का ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया 

      फेसबुक पर आप चाहे नये हों चाहे पुराने , इसके आदी होते देर नहीं लगेगी। मैं भी करीब चार साल से फेसबुक का बीमार रहा हूं , मैं फेसबुक पर दो बातों की खातिर आया था , पहली शायद कोई मित्र मिल जाये कहीं भी और दूसरा अपनी लिखी रचनाओं के लिए पाठक पाने को। शायद साल भर बाद समझ गया था यहां दोनों नहीं मिलती। झूठी लाइक्स और मित्रता के नाम पर केवल छल। परेशान हुआ और फेसबुक छोड़  दी। मगर बार बार फिर से इक नशा वापस ले आता दो चार दिन को , जब कोई विशेष दिन होते। बहुत बदलाव हुआ है इस बीच , मगर इधर तो जब से व्हट्सएप्प और मेस्सेंजर जैसे साधन आये तब से स्मार्ट फोन पर चैट ही इक मनोरंजन का और समय बिताने का ज़रिया बन गया है। मैंने जब इनका उपयोग किया तो बीस दिन में ही परेशान होकर बंद कर दिया व्हट्सएप्प , और हज़ारों मित्रों की सूचि वाली फेसबुक बंद कर दूसरी बनाई बहुत कम नाम भर के दोस्तों वाली। अब मालूम है निराश नहीं होना , कोई मित्र नहीं मिलते न कोई पाठक। केवल अपनी पसंद की चीज़ें खुद ही शेयर करना और खुद ही देखते रहना है। फेसबुक वालों को लगा शायद उनकी उपयोगिकता नहीं बची और लोग फेसबुक खोल फिर व्हट्सएप्प पर ही सब करते हैं। तब इक डर लगा होगा धंधा मंदा होने का तभी बहुत नई नई बातें लेकर आये हैं। मुझे हैरानी होती है जब तमाम लोग फेसबुक के कहने पर कोई पोस्ट बनाते हैं , कौन आपके जैसा है , किस ने आपकी प्रोफाइल पिक सब से अधिक देखी , कौन आपको सच चाहता है , आपका फेसबुक कार्ड आपको पास ही करता है अंक देकर भले आप कितना कम रहे हों फेसबुक पर। अब तो तमाम कारोबार होने लगे यहीं फेसबुक पर , हद तो तब हुई जब आपकी कितनी उम्र बाकी से आपके दिन कब कब अच्छे आने वाले हैं की बात कोई लिंक आपको बताता है। मैंने सोचा इसकी असलियत को परखना चाहिए और अपनी तीन फेसबुक पर जिन पर खुद अपना नाम जन्म तिथि और फोटो तक इक समान है इन लिंक्स से यही मूर्खता कर देखा और सब में अलग अलग नतीजे सामने आये। शायद हमारी मानसिकता को समझ हमें किसी न किसी तरह फेसबुक पर उलझना उनकी ज़रूरत है। बहुत पहले किसी ने कहा था दुनिया में मूर्ख बनने को बहुत लोग तैयार हैं बस कोई बनाने वाला चाहिए। आप सोशल मीडिया पर रहें मगर कुछ सार्थक कार्य करने के लिए। मूर्ख बनने को बाहर दुनिया कम नहीं है। अच्छे दिन लाने वाले तक नहीं जानते कब कैसे आएंगे , सरकार बना खुश हैं अपने अच्छे दिन लाकर। आपके लिए अच्छे दिन कोई मसीहा नहीं लाएगा। 

 

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