दिसंबर 29, 2024

POST : 1933 सवाल सारे ग़लत थे ( साक्षात्कार ) डॉ लोक सेतिया

       सवाल सारे ग़लत थे ( साक्षात्कार ) डॉ लोक सेतिया  

                  किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते ,

                      सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते । (  मुनीर नियाज़ी ) 

उन्होंने कभी सवालों से घबराना नहीं सीखा था , 10 साल में 117 प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जबकि उनके बाद सत्ता पर बैठने वाले ने 10 साल में एक बार भी सवालों का सामना नहीं किया । ऊपरवाला सब कुछ देखता है उनके आने पर स्वागत करते ही पूछा कि आप पर क्या गुज़री मुझे पता है जब तमाम मीडिया वाले आप पर सवालों की बौछार कर रहे थे , लेकिन आपने इतिहास पर छोड़ दिया खुद खामोश रहना उचित समझा जवाब देते तो सभी की बोलती बंद हो जाती । लेकिन तब आपने नहीं किया जो आपकी मौत पर देश की जनता ने उन सभी को जवाब दे दिया है बड़े ही सही तरीके से । तीन दिन से हर कोई सोशल मीडिया पर ही नहीं बल्कि सार्वजनिक तौर पर भी आपको सबसे काबिल शिक्षित और देश समाज के लिए निर्विवाद रूप से पूरी तरह समर्पित ईमानदार शासक मानता है । वही लोग जो कभी आपका विरोध करने को झूठी बातें फैलते थे आज कहते हैं देश को आप जैसा योगदान किसी ने नहीं दिया और आपके विरोधी भी लाख कोशिश कर जनता को यकीन नहीं दिलवा सके कि हमारे प्रिय मनमोहन सिंह जी की नीयत में रत्ती भर भी खोट संभव था । वास्तव में जिस तरह से देश और दुनिया आपके निधन पर शोक से अधिक पश्चाताप का भाव महसूस कर रही है सालों बाद ऐसा दिखाई दिया है । आपने किसी शायर की कही बात को सच कर दिखाया है जो कहते हैं ' ज़ुल्म सहकर जो उफ़ नहीं करते उनके दिल भी अजीब होते हैं , लेकिन आज मुझे आपकी बात खुद आपकी ज़ुबान से सुननी है बेशक मुझे सब मालूम है ।
 
आपने कहा है तो बताने से इनकार कैसे कर सकता हूं बस छोटी सी बात है जो लोग मुझसे हिसाब मांग रहे थे वो खुद किसी सवाल का जवाब कभी किसी को देना ज़रूरी नहीं समझते हैं । जब किसी के सभी सवाल ही ग़लत झूठे मनघड़ंत बेबुनियाद हों तब भला कोई जवाब क्या दे कैसे समझाए कि आपके सवाल ही सही नहीं तो जवाब देना समझदारी नहीं है । वो सभी टीवी चैनल वाले पत्रकार खुद को सब कुछ का जानकर समझते हैं तो क्या उनको देश में जो भी मेरे कार्यकाल में सरकार ने किया जो करना चाहिए था जिनको लेकर आज सभी आंकड़े बता रहे हैं उनको दिखाई नहीं देता था । जब कोई देख कर वास्तविकता को अनदेखा कर जो नहीं हुआ उस पर सवाल करता है तब उसे क्या जवाब दिया जा सकता है । मुझे अपने धर्म से शिक्षा मिली हुई है कभी खुद मैंने किया ऐसा नहीं कहना चाहिए क्योंकि सच्चाई यही है कोई राजनेता प्रशासक अथवा शासक या सरकार कुछ नहीं देती है जो भी है देश की जनता का अपना है सरकार केवल अपना कर्तव्य निभाती है । बस यही कारण था मैं नहीं कह सकता था मैंने कुछ भी किया है क्योंकि मुझे नियुक्त किया गया था जिस कार्य की खातिर उसे करना कोई उपकार नहीं था बल्कि हमेशा शासक से कुछ कमियां रह जाती हैं कोई भी सभी कुछ नहीं कर सकता ईश्वर कर सकता है अथवा नहीं मुझे नहीं मालूम लेकिन कभी किसी भी धर्म के ईश्वर ने भी ऐसा दावा किया नहीं है । 
 
भगवान बोले आप कभी नहीं बदले जिस भी हाल में रहना पड़ा संयम नहीं खोया कभी अहंकार नहीं किया कभी समस्याओं से डरे नहीं उनका समाधान किया लेकिन जिन्होंने आप को बदनाम किया और उन लोगों जिन्होंने उनकी ग़लत बातों को बढ़ावा दिया शायद किसी दिन पछतावा तो होगा । कोई धर्म कोई भी ईश्वर नहीं कहता कि किसी पर निराधार आरोप लगाओ बल्कि अपने भीतर झांकना चाहिए । आज भले धर्म और भगवान के नाम की बातें करते हैं लेकिन उन्होंने सिर्फ आपको नहीं बल्कि कितने और महान लोगों को बदनाम करने का अधर्म किया है जिस पर उन से सवाल किया ही जाएगा कभी उनको भी आना ही है । दुनिया में इतिहास भी हमेशा सही तथ्य नहीं बताता है बहुत कुछ ढकते हैं कभी बदल कर झूठ को सच साबित किया करते हैं लेकिन इस अदालत में कुछ भी छिपा नहीं रहता है , सभी कहते हैं ऊपरवाला सब देखता है मगर क्या डरते हैं अनुचित आचरण करने से । हिसाब होना है इंसाफ़ कहीं और नहीं मिले इस अदालत में होता है हमेशा । 
 
 


1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बढ़िया लेख...प्रेस कॉन्फ्रेंस से वो छिपते हैं जो जवाबदेही से बचते हैं।