मंदिर दोस्ती का ( हसरत- ए - दिल ) डॉ लोक सेतिया
दोस्त दोस्ती उम्र भर इसी दायरे में ज़िंदगी घूमती रही है , कभी किसी ने लिखा था भगवान को ढूंढने निकला था फिर सोचा था कोई दोस्त साथ हो तो मिलकर तलाश करेंगे । जब दोस्त मिल गया तो भगवान को खोजने की ज़रूरत ही नहीं रही । मैंने हमेशा लिखा है कि मुझे बस इक सच्चे दोस्त की चाहत है ढूंढता रहता हूं और शुरुआत में लिखना ही उसी के लिए उसी के नाम किया जो कौन कहां कैसा नाम पता नहीं जानता । वो कहानी अलग है कोई कल्पनालोक की परियों की कथा जैसी आज उन सभी दोस्तों की बात जो मिलते रहे और बिछुड़कर भी कभी दिल से दूर नहीं हुए । बचपन से अभी तक कितने ही दोस्त मिले हैं कुछ ऐसे जो किसी इक छोर से दूजे छोर तक सफर के हमराही जैसे रोज़ ज़िंदगी के कारोबार में जान पहचान कुछ अनुभव कुछ करीब रहना इक बहाना या इत्तेफ़ाक़ होता है । लेकिन बहुत थोड़े दोस्त पता नहीं चलता क्यों कब और कैसे अपना इक हिस्सा बन गए । दोस्त वही जिन से दिल और रूह महकने लगती है जिनसे मिलते ही खुद को भूल दोस्ती की खुशबू से हर मौसम सुहाना बन जाता है । आदमी आखिर इक दिन दुनिया से रुख़्सत होते रहते हैं बस दोस्ती ही है जो मौत से भी मरती नहीं ख़त्म नहीं होती हमेशा ज़िंदा रहती है सभी दोस्तों के दिलों में । कोई यकीन करे भले नहीं करे मेरे दोस्त हमेशा मेरे दिल में ज़िंदा रहते हैं । बचपन में दोस्तों के लिए इक गीत गाता रहता था मैं हमेशा , एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो , ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो । यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया , सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया , बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो , ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो । बनता है मेरा काम तुम्हारे ही काम से , होता है मेरा नाम तुम्हारे ही नाम से , तुम जैसे मेहरबां का सहारा है दोस्तो , ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो । जब आ पड़ा कोई भी मुश्किल का रास्ता , मैंने दिया है तुमको मुहब्बत का वास्ता , हर हाल में तुम्हीं को पुकारा है दोस्तो , ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो । गबन फ़िल्म , शायर हसरत जयपुरी , गायक मोहम्मद रफ़ी , संगीत शंकर जयकिशन ।
बहुत सोचा बड़ी मुश्किल से समझ आया कि दोस्ती दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता क्यों है , बहुत ही संक्षेप में बताता हूं जो मैंने समझा है इतने गहन गंभीर विमर्श के बाद । आपको जितने भी नाते रिश्ते मिलते हैं जन्म से बड़े होने तक माता पिता भाई बहन अन्य रिश्तेदार सभी से हमेशा इक लेन देन का सिर्फ पैसे का नहीं तमाम तरह का रहता है । थोड़ा अजीब है लेकिन मुझे दिखाई दिया है हर किसी के पास इक बही खाता है जिस में आपका क़र्ज़ अथवा उधार लिखा है क्या क्या करना था नहीं किया हज़ार शिकायत शिकवे गिले सामने नहीं फिर भी नज़र आते हैं । आपने कितना किया कभी कोई जमाखाता नहीं रखता क्योंकि ऐसा तो करना आपका फ़र्ज़ था कोई एहसान नहीं किया , कभी भी किसी ने नहीं देखा कि आपकी क्या मज़बूरी रही होगी जब कुछ करना चाहते थे नहीं कर पाए । कितने दिन आये नहीं कोई संदेश नहीं बहुत कुछ रहता है नाराज़गी जैसा और उसे कोई भुलाता नहीं कितने प्रयास कर देखें । सिर्फ दोस्त भले कितने साल बाद मिलते हैं कोई ऐसा हिसाब-किताब नहीं करते ख़ुशी से बाहों में भर कर कहते हैं अभी भी वैसे ही हैं । उम्र का बदलाव दोस्ती में कोई बदलाव नहीं लाता है , दुनियादारी से अछूता रहता है ये संबंध दिल का दिल से ।
आपने सुना होगा पिता से पुत्र से माता से बेटी से बहन से भाभी से हमको दोस्त की तरह रहना है समझना है , क्योंकि सभी जानते हैं इस से सुंदर निःस्वार्थ रिश्ता कोई नहीं ज़माने में । लेकिन कहना आसान करना बहुत कठिन है उम्मीद पर खरा उतरना पड़ता है जबकि दोस्ती का मतलब ही है कोई इम्तिहान नहीं लिया जाता बस भरोसा दिल से होता है कि दोस्त हैं तो हैं कोई प्रमाणपत्र नहीं ज़रूरत होती । आपको शीर्षक ध्यान आया , मेरा इक ख़्वाब है दोस्ती का इक घर हो मंदिर जैसा पावन जिस में सभी दोस्त जब चाहें आएं साथ साथ रहें जब मर्ज़ी चले जाएं कोई बंधन नहीं हो । दोस्ती सभी का धर्म हो ईमान हो दोस्तों की दुनिया में किसी और दौलत की आवश्यकता नहीं होती है । आपको इक राज़ की बात बतानी है , मेरे पास अनमोल खज़ाना है दुनिया की सबसे बड़ी दौलत का तलाशी ले सकते हैं , मिलेगा प्यार और दोस्ती का अंबार ।
2 टिप्पणियां:
शानदार। दिल से लिखी गयी सच्ची बातें।
Badhiyaa aalekh sir👌👍
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