अगस्त 24, 2022

यहां भगवान बन जाते वहां शैतान बन जाते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

         यहां भगवान बन जाते वहां शैतान बन जाते ( ग़ज़ल ) 

                 डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

यहां भगवान बन जाते , वहां शैतान बन जाते
हमेशा के लिए तुम क्यों नहीं इंसान बन जाते। 
 
ज़रूरत पर हमेशा ही झुकाए सर चले आये 
तुम्हारे पास आएं लोग तब अनजान बन जाते। 
 
तुम्हारे वास्ते दर खोलना महंगा पड़ा सबको 
निकाले से नहीं निकले जो वो महमान बन जाते। 
 
अदावत की सियासत से कभी कुछ भी नहीं मिलता 
न जो अभिशाप बनते काश इक वरदान बन जाते। 
 
बहुत करते रहे तुम सब अमीरों पर मेहरबानी 
गरीबों के लिए अच्छे सियासतदान बन जाते। 

भरी नफरत दिलों में , और आ जाते हैं मंदिर में 
समझते सब को अपना आप गर भगवान बन जाते। 

मुहब्ब्बत उम्र भर " तनहा " रहे करते ज़माने से 
दिखावा लोग सब करते हैं झूठी शान बन जाते।