जल्दी ही आयेंगे खुद भगवान फेसबुक पर ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
आखिर परम पिता परमात्मा को अपनी दुनिया की याद आ ही गई , और नारद जी को फिर से धरती लोक का हाल जानने को भेजा। लेकिन नारद जी ने जो विवरण प्रस्तुत किया उसने भगवान को भी चौंका दिया। इतना अधिक है संसार में फिर भी आधी आबादी भूखी नंगी और बेघर बदहाल है। उस पर ये भी की दुनिया के लोग ऐसा मानते हैं कि ये सभी भगवान की मर्ज़ी से ही है। परमात्मा ने पूछा नारद जी जिनके पास ज़रूरत से अधिक है वो दूसरों की सहायता क्यों नहीं करते। नारद जी बोले अगर आपके पास हो तो क्या आप दूसरों को बांटना चाहोगे , भगवान बोले बिल्कुल मुझे खुद के लिए क्या चाहिए। नारद जी बोले क्या वास्तव में कुछ नहीं चाहिए अपने लिए , भगवान ने जवाब दिया भला मुझे कुछ भी किसलिए चाहिए , मुझे तो अपनी बनाई दुनिया में रहने वालों की चिंता है कि उनको जो ज़रूरी वो मिल सके। नारद जी ने एक सूचि दी प्रभु को जिसमें तमाम मंदिरों मस्जिदों गिरिजाघरों गुरुद्वारों की जगह, धन संपत्ति सोने हीरे जवाहारात की कीमत और आय का विवरण था। और पूछा क्या आपको नहीं पता दुनिया में सब से बड़ा जमाखोर खुद आप ही हैं। ईश्वर दंग रह गये कि ये कैसे हुआ , उन्होंने तो किसी को भी ऐसा करने को नहीं कहा है कभी। किसी भी धर्म में विशाल धर्मस्थल बनवाने की बात नहीं लिखी गई आज तक। हर साधु संत ने संचय नहीं करने का ही उपदेश दिया है और धर्म का अर्थ दीन दुखियों की सहायता करना बताया है। फिर ये कैसे हो गया और क्यों अभी तक मुझे किसी ने ये सूचना नहीं दी कि मेरे नाम पर इतना अनुचित हो रहा है दुनिया में। नारद जी बोले कौन बताता आपको , जब आपके सभी देवता और देवियां खुद अपना गुणगान करवा प्रसन्न होती हैं चाहे उनका गुणगान लोग श्रद्धा से नहीं दिखावे को आडंबर की तरह करते हों। जब खुद आप भी उनसे अपनी महिमा सुन सुन गद गद होते हैं तब उनको क्या सन्देश मिलेगा। नारद जी की सच्ची और कड़वी बातें सुन भगवान बेचैन हो गए।कुछ भी समझ नहीं आया कैसे सब गलत को ठीक किया जा सकता है। परमात्मा ने तुरंत सभी साधु सन्यासी देवताओं देवियों और अवतारों की आपात बैठक बुलाई है। सभी उपस्थित हो गए हैं और नारद जी ने सारी बातें फिर से दोहराई हैं ताकि सभी समझ सकें और सुझाव दे सकें। एक पुराने अवतार ने प्रस्ताव पेश किया है कि खुद भगवान को नया अवतार लेकर संदेश देना होगा कि कोई मंदिर मस्जिद गिरिजाघर गुरुद्वारा नहीं बनाओ बल्कि सभी कुछ गरीबों में बांट दो यही वास्तविक धर्म है। मगर जब ऐसा अवतार लेने की बात हुई तो कोई भी तैयार नहीं हुआ क्योंकि सभी को समझ आ गया था कि अब लोगों को धर्म का पालन नहीं करना होता , उनको धार्मिक होने का दिखावा भर करना होता है। सोशल मीडिया में देख कर लगता है मानो सभी इंसान और इंसानियत की कदर करते हैं जब कि वास्तव में ऐसा मात्र औरों को दिखावे को किया जाता है। अभी तो लोग और भव्य मंदिर धर्मस्थल आदि बनवाने की बातें करते हैं और जो विरोध करता हो उसको नास्तिक कह कर प्रताड़ित किया जाता है , अब कोई अवतार जाकर कहेगा कि सभी मंदिर मस्जिद गिरिजाघर और गुरूद्वारे अपनी जगह और धन सम्पति दीन दुखियों को बांट दें तो जो धर्म ने नाम पर हलवा पूरी खाते हैं वो भगवान के सन्देश को ही धर्म विरुद्ध बताने लगेंगे। ईश्वर को मालूम है जब भी कोई नानक कोई यीशु कोई साईं बाबा सच्ची बात कहता है उसको कितने कष्ट भोगने पड़ते हैं जीवन में। जब नहीं रहता तभी लोग उसकी बात समझते हैं लेकिन तब भी उनकी दिखाई राह पर नहीं चलते , मात्र उनकी मूर्ति स्थापित कर उनको भगवान घोषित कर देते हैं। बहुत चिंतन करने के बाद परमात्मा ने पुछा क्या मुझे फिर से अवतार लेना चाहिए और अगर लेना है तो कब कहां कैसे। नारद मुनि ने ये कहकर सभी को दुविधा में डाल दिया है कि अब दुनिया में धर्म नाम के कारोबार से फिर इक जंग उसी तरह की जानी ज़रूरी है जैसे समुंद्र मंथन में आमने सामने हुई थी देवों और दैत्यों के बीच , मगर इस बार नतीजा वही हो ये मुमकिन नहीं क्योंकि भगवान से उनका पलड़ा भारी है जो भगवान को बेचते हैं। और उनकी सहायता सरकारें और राजनेता भी करते हैं , धर्म अब आस्था का विषय नहीं रह गया अपितु अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करने का साधन भी बन चुका है। लगता है भगवान को खुद को भगवान साबित करना होगा जाकर दुनिया में चाहे इसके लिये सोशल मीडिया , टीवी चैनेल फेसबुक व्हट्सऐप ट्विटर का सहारा लेना पड़े। जल्दी ही फेसबुक पर भगवान का नया अकाउंट खुलने वाला है , ध्यान रखना आप लोग रिक्वेस्ट भेजना भूल मत जाना।
3 टिप्पणियां:
lajwab sir
lajwab sir
बहुत खूब सेतिया जी धर्म के नाम पर व्यबसायिकता ही चल रही।फिर यह ऐसा धन्धा है जहाँ कुछ खोने को तो है नहीं।
सुन्दर रचना ।साधुबाद !������������
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