भुला नफरत सभी की हम मुहब्बत याद रखते हैं ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
भुला नफरत सभी की , हम मुहब्बत याद रखते हैंसितम जितने हुए भूले इनायत याद रखते हैं।
तुन्हें भेजे हज़ारों खत , मुहब्बत के कभी हमने
नहीं कुछ भेज पाये हम वही खत याद रखते हैं।
हमेशा पास रखते हैं , तेरी तस्वीर को लेकिन
ज़माने से छिपाने की हिदायत याद रखते हैं।
मुहब्बत में कभी कोई , शरारत की नहीं हमने
सताया ख्वाब में आकर शिकायत याद रखते हैं।
बनेंगे एक दिन मोती , हमारी आंख के आंसू
तेरा दामन इन्हें पौंछे ये हसरत याद रखते हैं।
किसी को बेवफ़ा कहना , हमें अच्छा नहीं लगता
निभाई थी कभी उसने भी उल्फ़त याद रखते हैं।
तुम्हारी पास आने , दूर जाने की अदा "तनहा"
वो सारी शोखियां सारी नज़ाकत याद रखते हैं।
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