नवंबर 17, 2024

POST : 1919 क्या हुआ क्योंकर हुआ बोलता कोई नहीं ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

       क्या हुआ क्योंकर हुआ बोलता कोई नहीं ( ग़ज़ल ) 

                         डॉ लोक सेतिया "तनहा"

क्या हुआ क्योंकर हुआ बोलता कोई नहीं 
बिक गया सब झूठ सच तोलता कोई नहीं । 

शहर में रहते हैं अंधे उजाला क्या करें
खिड़कियां हैं बंद दर खोलता कोई नहीं । 
 
हर किसी के पास हैं तल्ख़ियां बस तल्ख़ियां 
शहद बातों में यहां घोलता कोई नहीं । 

अनगिनत बिखरे पड़े कांच के टुकड़े यहां 
दिल बहुत नाज़ुक उसे रोलता कोई नहीं । 

बात अपनी जान देकर निभाते थे सभी 
जब इरादा कर लिया डोलता कोई नहीं ।