केक और समोसों का ग़बन ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
ये विकट समस्या है ख़ास वीवीआईपी लोगों के लिए मंगवाए गए नाश्ते को उनके अधीन स्टॉफ को खिलाने को सरकार विरोधी कृत्य घोषित कर जांच करवाई जाएगी । देश की राजनीति आजकल ऐसी ही गंभीर परेशानियों से जूझ रही है । गोलगप्पों से मेल मुलाक़ात शुरू हुई थी जलेबी तक पहुंच गई कोई आपत्ति नहीं जताई क्योंकि सभी दलों में आम सहमति कायम थी । लेकिन लज़ीज़ समोसे और केक मुख्यमंत्री जी की जगह उनके अधीन स्टॉफ को खिलाना अक्षम्य अपराध है ज़रूरत हो तो इस पर सर्वोच्च न्यायालय को इक जांच आयोग गठित कर कठोर दंड देने और नियम कड़े करने चाहिएं । न्याय की देवी को सब दिखाई देता है जब से काली पट्टी खुली है । शायद ऐसे खबर से जिस हलवाई जिस बेकरी से समोसे और केक मंगवाए गए वो अपने दाम बढ़ा सकते हैं , आखिर ख़ास बन जाना बड़ी बात होती है । इधर जैसे ही शासक बदलते हैं उनका खाने खिलाने से रहन सहन तक सभी को लेकर बदलाव करने अनिवार्य हैं । राजनेता भले कुछ भी खाएं उनको छूट है पशुओं का चारा से कोयला क्या शराब से कवाब तक आसानी से हज़्म हो जाता है नेताओं की पाचनशक्ति कमाल की होती है । सीमेंट लोहा क्या ज़मीन पेड़ पौधे से मिट्टी रेत तक सब नेताओं की मोटी तोंद में समा जाता है । सरकारी कर्मचारी कब क्या कितना चुपचाप गटकते हैं इसकी कभी किसी को खबर नहीं होती है उनको हमेशा संभल संभल कर अपने पेट में तमाम चीज़ों को फ़ाइलों में आंकड़े भर कर भरना पड़ता है । मुख्यमंत्री जी ने अपने ख़ास मित्र विरोधी दल के नेता को जांच आयोग का अध्यक्ष बनाया है , समोसे और केक को लेकर दोनों एकमत हैं बहुत पसंद करते हैं जब भी मिलते हैं खाते खिलाते हैं ।
देश में कोई गरीबी भूख या अन्य समस्या नहीं है बस नेताओं की बढ़ती भूख सत्ता की हवस से जो भी दिखाई दे उसे अपने भीतर समाहित करने की व्याकुलता एकमात्र समस्या है जिसका कोई समाधान नहीं है । गर्म समोसे और स्वादिष्ट केक की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू , नेता जी को कोई देवदास की नायिका का डायलॉग बोलने का अभ्यास करवा रहा है । आपने कभी ऐसा अनुभव किया है किसी पार्टी में आपने कितना कुछ खाया हो लेकिन बाद में कोई आपको इक ऐसा व्यंजन लाजवाब था बताये जो आपको नहीं मिला हो तब बाक़ी सभी का स्वाद फीका लगता है । लेकिन उस से बढ़कर ये भी होता है कि कभी आपको इतनी अधिक भूख लगी हो और किसी होटल में जाने पर बताया जाये अब सिर्फ इक चीज़ ही उपलब्ध है जो शायद कभी आपको खाना पसंद भी कम हो मगर उस दिन वही इतनी स्वादिष्ट लगती है कि दोबारा उस जैसा स्वाद कभी मिलता नहीं आप तरसते हैं । राजनेताओं को कुछ खाने को नहीं मिले जो उनकी खातिर मंगवाया गया हो इस से अधिक अनुचित कुछ भी नहीं हो सकता है । लगता है जैसे कोई बचपन में स्कूल में सभी का टिफ्फ़न छीन कर खाता रहा हो पहली बार उसका टिफ्फ़न कोई और खा गया हो तब धैर्य से काम नहीं ले सकते हैं । ये ग़बन है कोई छोटी बात नहीं है इसलिए जांच का नतीजा कुछ भी हो नेता जी को चैन नहीं मिलेगा कभी ।
विपक्षी दल को विषय की गंभीरता नहीं समझ आ रही है , सवाल कोई मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो जैसा मासूम नहीं है , कोई भी सरकारी खर्च जिस भी पर व्यय किया गया बताया जाये अगर जानकारी मिले कि उसको मिला ही नहीं तो मामला घोटाले का बनता है । समोसे और केक से तमाम लोगों की भावनाएं जुड़ी रहती हैं जैसे कॉलेज में कोई सहपाठी लड़की चाट पकोड़े किसी से खाये मगर फ़िल्म देखती किसी और साथ दिखाई दे जाये तो उसे दोस्त का रकीब बनना कहते हैं । कोई नहीं जानता किसी के दिल पर क्या बीतती है जब उसके हिस्से की मनपसंद चीज़ कोई और खा जाये हज़्म ही कर जाये । दार्शनिक लोग समझाते हैं कौन किसी के नाम का कुछ खाता है सब का नाम दाने दाने पर लिखा आता है । जांच आयोग भी आखिर निर्णय यही सुनाएगा सब को अपने नसीब का मिलेगा खोएगा क्या पाएगा ।

1 टिप्पणी:
Bdhiya aalekh👌👍
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