जून 27, 2017

आप अपने डॉक्टर नहीं बनें ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया

        आप अपने डॉक्टर नहीं बनें ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया 

       शायद सब कुछ उतना आसान होना मुमकिन नहीं जितना हम चाहते हैं। मेरे पास कई बार लोग आएं हैं इंटरनेट से किसी रोग बारे जानकारी हासिल कर अधकचरी जानकारी से कोई गलत नतीजा निकाल कर। मैंने हर बार उनको भी और कई बार कहीं भी या फोन पर ही अपने रोग का उपचार पूछने वालों की आगाह किया है कि अपनी जान की कीमत को समझें और इस तरह उपचार नहीं कराएं। पिछले साल मुझे जब लगा लोग आयुर्वेद के लेकर ठगी का शिकार हो रहे हैं तब मैंने सभी को निस्वार्थ सलाह लेने को अपना नंबर भी दिया और इक पेज पर आयुर्वेद की जानकारी और बहुत ऐसी समस्याओं का निदान भी बताना शुरू किया। मगर तब भी अधिकतर लोग चाहते थे उनको बिना किसी डॉक्टर से मिले घर बैठे दवाएं मिल सकें। अर्थात जो उचित नहीं मैं समझाना चाहता था लोग मुझ से भी वही चाहते थे। शायद कोई ऐसे में अपनी दुकानदारी कर कमाई भी कर सकता था , मगर मुझे लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर पैसे बनाना कभी मंज़ूर नहीं रहा। आजकल देखता हूं हर कोई हर समस्या का समाधान गूगल से खोजने लगे हैं। मगर रोग और चिकिस्या बेहद संवेदनशील विषय हैं। सवाल ये नहीं कि इस से डॉक्टर्स हॉस्पिटल या नर्सिंग होम को कोई नुकसान हो सकता है , सवाल ये है कि खुद जो इस तरह उपचार करेंगे उनका भला इस में है भी या नहीं। आप अगर कभी किसी भी दवा को लेकर सर्च करें तब आपको कठिन ढंग से इतना कुछ मिलेगा कि आप घबरा जाओगे और कोई भी अलोपथी की दवा नहीं लेना चाहोगे। मगर असल में कितने लोग इस सब को पढ़ कर समझ सकते हैं , मेरा विचार है अधिकतर बस रोग और दवा का नाम और किस मात्रा में खानी पढ़कर उसे अपने पर इस्तेमाल करते होंगे। जब कोई आस पास क्या राह चलता भी बताता है किसी रोग की दवा तब भी लोग बिना विचारे अपने पर आज़मा लेते हैं तब गूगल का नाम ही उनको प्रभावित करने को काफी है। कल ही मैंने इसी तरह इक नई दवा की जानकारी ढूंढी जो दिल्ली के इक बड़े संस्थान के डॉक्टर मेरे परिवार के इक सदस्य को लिख रहे थे , तब मैं हैरान हो गया ये पढ़कर कि तमाम रोगों पर काम करती है की बातों के आखिर में लिखा मिला अभी तक ये किसी ने विधिवत रूप से प्रमाणित किया नहीं है। ये शब्द आने तक मुझे लग रहा था जैसे ये कोई संजीवनी बूटी है राम बाण दवा है। लेकिन आखिरी शब्द मुझे डराते हैं क्योंकि वहीं उस दवा के तमाम ऐसे दुष प्रभाव भी थे कि इस से अमुक अमुक गंभीर रोग हो सकते हैं। इसलिए मुझे लगा लोगों को इस बारे सावधान किया जाना चाहिए। बेशक लोग विवश हैं क्योंकि देश में न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की खराब दशा है बल्कि जब मिलती भी है तो अनावश्यक रूप से महंगी और केवल पैसे बनाने के मकसद से न कि ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाने को लोगों को रोगमुक्त स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए। फिर भी ये तरीका कदापि सही नहीं है। 

 

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