नवंबर 21, 2018

तीसरा जहां ( अफ़साना ए मुहब्बत ) डॉ लोक सेतिया

     तीसरा जहां ( अफ़साना ए मुहब्बत ) डॉ लोक सेतिया 

     खुदा ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु ईसामसीह जो भी नाम उसका है उसने दो जहान बनाये थे यही सब जानते हैं। इक जहां धरती आसमान नदियां समंदर पेड़ पौधे पशु पक्षी हवा पानी आग जाने कितना कुछ बनाया इस दुनिया में और खो गये सभी उसको खोजने में जो भी नहीं था उसे बनाने में। मगर यही भूल हुई कि विधाता की बनाई दुनिया में विधाता बनना संभव ही नहीं था। ये जिस का रचाया खेल है उसने ही तय किया हुआ है कि जब जो भी विधाता बनने की कोशिश करेगा उसका नामो निशान बाकी नहीं रहेगा। मगर इंसान के दिमाग में ये खलल हमेशा बनी रहे विधाता रुपी खिलाड़ी का खेल यही है। हमेशा से लोग जन्नत स्वर्ग वैकुंठ जैसे जहान की बातें कर अपना उल्लू सीधा करते रहे , खुद लोभ मोह लालच करने और दुनिया वालों को इन में नहीं फंसने की शिक्षा देकर। मगर कभी कभी इसी दुनिया में ऐसे भी लोग हुए जिनको ये दुनिया नहीं भाती थी और दूसरी दुनिया स्वर्ग नर्क जन्नत दोजख वाली की भी चाहत नहीं थी। उन्होंने हमेशा कल्पना की थी इक तीसरी दुनिया की जिस में प्यार हो मुहब्बत हो अपनापन हो फूल हों चांदनी हो और कुछ भी खराब नहीं हो। वो लोग किसी धर्म देश वर्ग भेद की बात नहीं करते थे और इश्क़ में अपनी अलग दुनिया बसाने की बात किया करते थे प्यार की मुहब्बत की दुनिया। आज आपको उस दुनिया की सैर करवाते हैं। 
 
           अभी अभी दो नये बशिंदे आये हैं फरिश्ता उनको लाया है और छोड़ गया है ठीक उसी तरह जैसे बाकी युगल आये हैं बारी बारी। परंपरा की तरह उनका अभिनंदन किया जा रहा है और बताया जा रहा है अब आप आज़ाद हैं सुरक्षित हैं और इस अपनी दुनिया में रह सकते हैं। शर्त केवल सच्चे प्यार को बनाये रखने की है सब इस जहान में सिर्फ और सिर्फ प्यार करते हैं कोई तकरार नहीं कोई झगड़ा लफड़ा हर्गिज़ नहीं। साथ मिलकर नाचने झूमने गाने के बाद सब पहले के बशिंदों ने उन से उनकी मुहब्बत की कहानी पूछी। ये भी पूछा कि क्या आजकल भी लोग उनकी तरह प्यार मुहब्बत इश्क़ करते हैं। इस पर नये आये दोनों ने सवाल किया ये बताओ इस दुनिया में इंटरनेट सोशल साइट्स स्मार्ट फोन की सुविधा किस तरह मिल सकती है। ये सब क्या होता है और आपको उसका करना क्या है। वो बता रहे हैं जिस समय आप ने प्यार मुहब्बत की बातें की तब क्या ख़ाक मज़ा हासिल हुआ होगा आजकल फेसबुक और व्हाट्सएप्प सोशल मीडिया के बिना कोई भी काम नहीं मुमकिन है। रात दिन संदेश विडिओ कालिंग और मौज मस्ती किया करते हैं सभी आशिक़। अब वो बात नहीं कि कोई छोड़ जाता है तो पागल बन ढूंढते रहो अगले पल कोई और सामने मिल जाता है। सात जन्म साथ की बात कोई नहीं करता सब जब तक निभती है साथ साथ होते हैं जब नहीं निभती तो अलविदा कहने में संकोच नहीं करते हैं। जान हो कहना ठीक है मगर जान कहने का मतलब जान से हाथ धोना नहीं है। पहली नज़र वाला प्यार अब नहीं होता है सोच समझ कर खूब हिसाब लगाकर चुनते हैं कौन सब से अच्छा विकल्प है। लड़का हो चाहे लड़की हो दोनों के पास और भी लोग रहते हैं किसी एक पर दिल आने की बात नहीं है। साल दो साल बाद भी किसी को लगता है अभी भी बंधन नहीं है विवाह करने से पहले कोई भी बहाना बना सकते हैं। घर वाले नहीं मानते हैं या कोई दूसरी मज़बूरी जता देते हैं। अधिकतर लोग समझदार हैं और उनको भी उस से बेहतर कोई दूसरा मिल जाता है। कभी कभी कोई सोचता है मैं इसको छोड़ दूंगा मगर दूजा उसके छोड़ने से पहले ही छोड़ जाता है। कोई तो कहता है बेवफाई करने से अच्छा है जुदा हो जाना। 
 
           आपके वक़्त कोई विरला आशिक़ महबूबा हुआ करते थे इधर कोई बचा नहीं जिसको कोई भी नहीं मिला हो। ऐसे ऐसे युगल मिलते हैं कि लोग हैरान होते हैं उनको इश्क़ हुआ किस तरह होगा। मगर इक खेल है और हर कोई खिलाड़ी है। वेलेनटाईन डे पर हर साल लोग पुराने को छोड़ नया बना लेते हैं अवसर मिलने की बात है। लेकिन पहले की तरह इश्क़ आसानी से नहीं हासिल होता है , मुहब्बत का भी बहुत बड़ा बाज़ार है और कारोबारी लोग करोड़ों की कमाई करते हैं। टीवी सीरियल और फिल्म वालों ने जो पहले वाला प्यार हुआ करता था उसका कबाड़ा कर दिया है और मुहब्बत में साज़िश से लेकर डर और बाज़ीगर तक क्या क्या नहीं शामिल कर दिया है। चर्चा होती है पहला प्यार आकर्षण होता है जो करीब आये उसी पर दिल फ़िदा हो जाता है। किस को कितनी बार इश्क़ हुआ कई लोग गिनती भी याद नहीं रखते हैं। ये सब सुनते कुछ की धड़कन बढ़ने लगी है तभी सबसे बज़ुर्ग आशिक़ ने चेतावनी देते हुए कहा कि ये सब कोई चाल है और भूले से उस दुनिया में फिर वापस जाने की बात मत सोचना। नये आशिकों का नशा कितने दिन बाकी रहेगा कोई नहीं जनता मगर नफरत की दुनिया की तरफ देखना भी गुनाह है। शायद अगर ये भूले से यहां चले आये हैं तो फरिश्ता देखता है इनको वापस ले जाएगा। हर चमकदार वस्तु सोना नहीं होती है , ज़रा इनकी भी परख होने देते हैं पीतल हैं या खालिस सोना हैं। अब आगे क्या हो सकता है आप भी सोचो तो समझ जाओगे। कई साल हो गये जो भी नये बाशिंदे फरिश्ता लेकर आता है कुछ ही देर में चुपचाप वापस लौट जाते हैं। जिन आशिकों को सोशल मीडिया की लत का रोग लग गया हो वो अपने आशिक़ महबूबा के बगैर जी सकते हैं फेसबुक ट्विटर व्हाट्सएप्प को छोड़ कर नहीं कभी भी नहीं। इसके बिना भी कोई जीना है , मरने का ग़म नहीं होता उनको जितना सोशल मीडिया से बिछुड़ने का दर्द होता है। प्यार की जुदाई सही जा सकती है सोशल साइट्स बिना जीवन सूना क्या मौत से बदतर लगता है। ऊपर वाला चाहे कहीं भेज दे मगर उस जहां में नहीं भेजे जिस में इंटरनेट की सुविधा नहीं हो फेसबुक की दुनिया न हो और व्हाट्सएप्प नहीं चलता हो ।  

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