सितंबर 19, 2017

उचित राह चलना कठिन , अनुचित की आज़ादी ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया

     उचित राह चलना कठिन , अनुचित की आज़ादी ( आलेख ) 

                              डॉ लोक सेतिया

        सरकार क्या अख़बार क्या टीवी के खबरी चैनल क्या , सब इंतज़ार किया करते हैं किसी अनहोनी को घटने की। फिर कुछ दिन तक उसी बात का शोर मगर बेहद असंवेदनशील ढंग से। लगता ही नहीं किसी को दूसरों का दर्द समझना आता है। बयान बाज़ी और हादसों का भी उपयोग करना अपने मकसद को आम बात है। मानवता तो जैसे बची ही नहीं , आदर्श और नैतिक मूल्य केवल किताबी अक्षर बन गए हैं। काश किसी अनहोनी से देश की सरकार राज्यों की सरकारें और हम सभी सबक सीख लें और अपनी मदहोशी से जागकर कुछ सोचें विचार करें और कहीं भी ऐसी घटनाएं नहीं हों ऐसा उपाय करें। रायन स्कूल की बात यहीं खत्म नहीं होनी चाहिए , शायद यहीं से कुछ शुरुआत की जा सकती है। बहुत बातें हैं जो सामने हैं मगर हम सभी अनदेखा करते हैं। सब से पहले तो सरकारी सभी विभाग खुद अपने आप अपना फ़र्ज़ निभाना जानते ही नहीं , उनको खुद अपने काम करने होंगे बिना किसी की शिकायत या सिफारिश के। पुलिस को अपराध रोकना , नहीं होने देना कब ज़रूरी लगेगा। बहुत विभाग तो ऐसे हैं जो खुद अपराध करवाते हैं ताकि ऊपर की कमाई की जा सके। खुद ही अपनी ज़मीन पर कब्ज़ा कराना और महीना वसूलना , जिस विभाग को लोगों को घर प्लॉट्स उपलब्ध कराने हैं , वही खुद किसी नियम कानून का पालन नहीं करता है। केवल अपनी गलत आमदनी के लिए ये विभाग खुद ही अपराधी की तरह काम करता है। देश में सब से अधिक कदाचार इसी आवास से जुड़े विभाग में होता है और नेता भी शामिल होते हैं। किस राज्य में नेता अधिकारी ये अपराध नहीं करते देखे गए।

                              शिक्षा और स्वास्थ्य सब से ज़रूरी हैं मगर किसी सरकार को चिंता ही नहीं इस में कितनी बदहाली है। आपको दवा नकली मिलती है , खुद डॉक्टर्स घटिया दवा लिखते हैं कमीशन की खातिर। अगर आपको फल और सब्ज़ियां भी तेज़ाब से चमकी हुई मिलें तब आपको ज़हर ही खिला रहे हैं। खाने पीने का सामान कितनी घटिया सब्ज़ियों और तेल से कितनी गंदी जगह बनाकर गंदगी की जगह परोसा जाता है , जिस से कितने रोग बढ़ रहे है कोई नहीं देखता। सस्ता नहीं बेहद महंगा है ये सब जो आपको स्वादिष्ट लगता है। अगर कभी सरकार जाकर देखे तो हमारे अधिकतर होटल  , रेस्टॉरेंट ही नहीं , हॉस्पिटल और नर्सिंग होम तक स्तरहीन सेवाएं और तमाम तरह से खिलवाड़ स्वास्थ्य के साथ करते मिलेंगे। क्योंकि कोई देखने वाला नहीं कि कहां क्या हो रहा है। स्कूल हॉस्पिटल और खाने पीने का सामान बेचने वाले ही अगर किसी नियम गुणवत्ता के मापदंड पर खरे नहीं हैं तो फिर देश में सरकार क्या है। सब विभाग और नेता भाईचारा निभाने में जनता के जीवन से खिलवाड़ करते हैं।

          ऐसा शायद ही किसी सभ्य देश में होता है कि उचित ढंग से कोई काम नहीं हो सकता और अनुचित ढंग से कोई कुछ भी करता रहे कोई नहीं देखता , रोकता टोकता। ज़हर देना ही अपराध नहीं होता , समय पर दवा नहीं देना भी जानलेवा होता है और सभी विभाग अपना अपना कर्तव्य खुद समय पर नहीं निभा कर वही ही करते हैं। गुनहगार कौन नहीं है। 

 

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