जुलाई 31, 2014

POST : 446 मेहरबानी दोस्त मुझे याद रखा ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

  मेहरबानी दोस्त मुझे याद रखा ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

कब सोचा था
कभी सच होगा ये सपना भी
किसी को यूं ही किसी दिन
आयेगा ये भी ख्याल
कि जाने कहां खो गया
कोई दोस्त कई दिन से
और वो चला आयेगा
मेरे घर में पूछने हाल मेरा ।

लोग कहते हैं
आज के नये दौर में
भला किसे फुर्सत है
जो सोचे किसी दूसरे के लिये ।

मगर फेसबुक के दोस्तों में भी
मुझे रही है तलाश ऐसे ही
दोस्त की जो रखे याद ।

वो बात जो कही थी हमने
दोस्त बनते समय कि
हम हैं इक घर के सदस्य
जो रहते हैं बेशक दूर
मगर होता है एहसास
उनके करीब होने का ।

मेहरबानी
मेरे फेसबुक के दोस्त ।