जुलाई 21, 2014

POST : 444 झूठ से दोस्ती नहीं करते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

झूठ से दोस्ती नहीं करते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

झूठ से दोस्ती नहीं करते
हम कभी बस यही नहीं करते ।

इक खुदा ने सवाल पूछा है
आप क्यों बंदगी नहीं करते ।

साथ जीना है साथ मरना भी
बस तभी ख़ुदकुशी नहीं करते ।

बेवफ़ा हम उन्हें कहें कैसे
बेवफ़ाई वही नहीं करते ।

आज कहने लगे हमें आकर
आप क्यों आशिक़ी नहीं करते ।

क्यों बुलाते हो तुम रकीबों को
यार से दिल्लगी नहीं करते ।

याद "तनहा" उन्हें ज़माना सब
बात पर आपकी नहीं करते ।