अक्तूबर 05, 2018

सत्य के शोध से झूठ के उपयोग तक ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

  सत्य के शोध से झूठ के उपयोग तक ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

                         झूठ की है सरकार अब , अपनी अखियों को खोल रे।

                         झूठ का पलड़ा भारी है , सच न चलता मत तोल रे।। 

     नारद जी का भजन नारायण जी को समझ नहीं आया तो हैरान होकर पास बुलाया और कहा मुझे आपका नया भजन कुछ समझ नहीं आ रहा। मगर कोई बात नहीं जनता हूं मेरे वास्ते ही बनाया होगा। नारद जी नई कोई जवाब ही नहीं दिया और मस्ती की धुन में गाते रहे। भगवान को कहना पड़ा , मुनीवर , किस चिंता में डूबे हुए हैं आज जो नारायण नारायण कहना भी याद नहीं रहा। आपको आराम की ज़रूरत है ये लग रहा है। धरती पर जब भी जाते हैं आकर हाल चाल बताते हैं मगर कभी इस तरह से तो नहीं वापस आते हैं। क्या हुआ इस बार कहो क्या फरमाते हैं। भगवन कहना है जो किस तरह बताऊं शब्द ही उलझते जाते हैं , इतनी जल्दी कहीं भला मापदंड बदल जाते हैं। सत्यमेव जयते वाले झूठ की महिमा सुनाते हैं। सरकार बदलने से किस तरह अल्फ़ाज़ बदल जाते हैं। कुछ मत सोचना क्या क्यों कैसे आपको सब बात बताते हैं सच कहने की कसम नहीं खाते झूठ नहीं बता सकते तभी हम आज बहुत घबराते हैं। कोई है जो लिख सकता है आज कलयुग की सच्ची कथा सुनाते हैं आपके लिपिक लिखते जाते हैं ताकि हर बात का मतलब जो भी आपको संशय हो बाद में सुलझाते हैं। 
 
                 मैं कभी झूठ नहीं बोलता जब भी कोई कहता है तब सबसे बड़ा झूठ यही होता है। मगर जब झूठ बोलने वाला शासक हो तो झूठ झूठ नहीं कहलाता है , उसका अपना बही खाता है। जो भी झूठ सत्ता बोलती है सच समझा जाता है। आजकल झूठ की बारी है सच्चाई झूठ से हारी है। झूठ पर शोध किया जाना बाकी है , सबको समझाना बाकी है। अभी जितना सामने आया कुछ भी नहीं पूरा झूठ सामने आना बाक़ी है। झूठ की पढ़ाई ज़रूरी है सच केवल गांधी जी की तरह मज़बूरी है। सच खुद को नहीं पहचानता है , सच मर चुका है खुद यही मानता है। सदियों तक सभी ने सच समझा समझाया है अब पहली बार झूठ का परचम लहराया है। झूठ पर सच की पॉलिश का कमाल है पीतल पर सोने का पानी खूब चढ़ाया है , अपनी चमक से दुनिया को भरमाया है। सब कहने लगे हैं यही है जो सच को ढूंढ कर लाया है। सच का कोई खरीदार नहीं है और झूठ जहां नहीं बिकता कोई बाज़ार नहीं है। झूठ झूठ झूठ कितने झूठ सामने आये हैं मगर झूठा गर्व से कहता है झूठ पर शर्मसार नहीं है। सारी पुरानी पढ़ाई व्यर्थ है झूठ का गहन बड़ा अर्थ है। झूठ की शिक्षा बहुत ज़रूरी है , हर शिक्षा बिना झूठ आधी अधूरी है। झूठ की कोचिंग क्लासेज का ज़माना है ये लाज़मी है अगर रोज़गार पाना है। जिस जिस ने झूठ की महिमा है गाई उस उस ने मनवांछित कामना है पाई। झूठ कल सबका भगवान कहलाएगा आपको भाएगा या नहीं भाएगा मगर जल्द ही ये भी सामने आएगा। झूठ जब ताज पहन कर सिंहासन पर बैठेगा सच सलाखों में बंद नज़र आएगा।

                इस कथा का अर्थ भी बताना ज़रूरी है , अभी तक कोई नहीं जनता था झूठ का कोई पेड़ ही नहीं सारा गुलशन झूठा है झूठ के पेड़ों पर इतने फल लगे हैं कि झूठों के चमन में हमेशा बहार का मौसम रहता है। सच को सूली पर चढ़ाने की बात पुरानी हुई नई कथा झूठ की तख्तपोशी की है। झूठ के सर पर बंधा सच्चाई का ताज है कोई नहीं जनता इस में छुपा क्या क्या राज़ है। भगवान अपने कितने देवी देवता बना दिये सब को अपना अपना विभाग सौंप दिया मगर मलाईदार पद की तरह झूठ का कोई देवी देवता नहीं बनाया। असली शक्ति को अपने पास रखा किसी को नहीं बतलाया। मुझे अब जाकर समझ आया है झूठ क्यों निडर रहता रहा दुनिया में आपकी मिली छत्रछाया है। भगवान बोले नहीं जाने कैसे हुआ है ऐसा , झूठ को मैं खुद गहरे समंदर में डूबने को छोड़ आया , मगर ये नहीं डूबा और तैराक बनकर लौट आया। झूठ को सभी ने समझ लिया अपना भगवान है , सच पल दो पल का कोई महमान है। जिस किसी के पास सच जाता है दो दिन में वही पछताता है , तोड़ता सच से अपना हर नाता है और भजन झूठ के फिर गाता है। माना सच कड़वा झूठ है मीठा भी , मगर लोग मीठा ज़हर खाने लगे हैं। झूठ को सच बताने लगे हैं। राह उल्टी को जाने लगे हैं। राम को नहीं मानते नानक को भी नहीं समझते , खुदा से भी मतलब नहीं उनको। जाने को सभी धर्मों के स्थलों पे जाने लगे हैं। तुम भी मेरा उपहास करने लगे हो मेरे भक्त बनकर लोग मेरा दर्द बढ़ाने लगे हैं। मुझे बाहर निकाल दिया सभी ने उनके आलीशान महलों के सामने जश्न मनाने को शामियाने लगे हैं। नारद जी अपनी बात पर पछताने लगे हैं , पश्चताप में आंसू बहाने लगे हैं।

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