सितंबर 16, 2018

POST : 905 तुम बताओ है कहीं ऐसा जहां ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

  तुम बताओ है कहीं ऐसा जहां ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

तुम बताओ है कहीं ऐसा जहां
राजनेता दर्द को समझें कहां । 

जब सितारा टूट कर गिरने  लगा
चुप रहे दोनों ज़मीं औ आस्मां । 

लोग मानेंगे नहीं कोई कभी 
एक नेता आदमी सा था यहां । 

अब किसी से पूछता कोई नहीं
बस्तियों से उठ रहा कैसा धुआं । 

सबको अपनी बात कहनी आ गई
बेज़ुबांनों  की , नहीं कोई   ज़ुबां । 

कर गया कितना अंधेरा मुल्क में
वो जला करता था खुद बन कर शमां । 

कौन था "तनहा" सभी को कर गया
पूछता है धूल से खुद कारवां । 
 

 

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