आकाश पर भारत क्लब ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
आपको पता ही है हम भारतवासी देश में इक दूसरे को नहीं जानते समझते और लड़ते झगड़ते रहते हैं। मगर जैसे ही भारतवासी किसी और देश की धरती पर जाते हैं भारतीयता जाग उठती है और हम कोई संगठन संस्था अथवा मनोरंजन को क्लब बना लेते हैं। विदेश में हमारी बात हम ही समझते हैं , चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है सुनकर आंखे भर आती हैं दो पल को मगर देश वापस आने की भूल नहीं करते। देशवासियों के लिए हमारा प्यार विदेशी धरती पर ही पनपता है , अपने देश की आबोहवा देश में मुहब्बत पनपने के अनुकूल नहीं है। राजनेताओं और धर्म वालों ने नफरतों की आंधियां जो चला रखी हैं। इस भुमिका से आपको समझ आ गया होगा देश से बाहर हम भारतवासी एक हो जाते हैं मिल बैठते हैं। सब विरोध नफरत की बातें भुलाकर साथ साथ नाचते गाते झूमते हैं।
बिल्कुल यही बात है , भारत से ऊपर जाकर सभी महान आत्माएं एक साथ हैं। आज उनकी सभा में चलते हैं और देखते हैं कौन क्या क्या बात करता है। गांधी जी गोड़से को प्यार से कहते हैं भूल जाओ उस घटना को। मैंने माफ़ ही नहीं किया बल्कि याद तक नहीं जो हुआ। कितनी बार हमने चर्चा की है कोई मतभेद है ही नहीं बीच में। नेहरू जी पटेल जी से कह रहे हैं आपको उनकी बात पर गौर नहीं करना चाहिए , उन्हें नहीं मालूम हम कभी अलग नहीं थे। विरोधी होने का मतलब ही नहीं हम तो एक दूसरे के पूरक थे इक दूजे बिन अधूरे थे। सत्ता की चाहत कब थी हम लोगों में किसी को भी , इक कांटों का ताज था हमारे सरों पर कर्तव्य और ज़िम्मेदारियों का। बड़ा छोटा कोई किसी को नहीं मानता था। भक्त सिंह जी आकर खड़े सुन रहे थे सब बातें। बोले हम सब जो चाहते थे उसकी बात कोई नहीं करता है और हमारे नाम पर दुश्मनी की आग फैला कर दलगत स्वार्थों की गंदी राजनीति करते हैं बेशर्म लोग। मुझे दुःख होता है जब एक दो दिन मेरी मूर्ति पर लोग फूल अर्पित करते हैं मगर मेरे देश प्यार को समझते ही नहीं और मेरी सोच मेरा चिंतन कोई मायने नहीं रखता। मुझे तो अपना अपमान लगता है साल भर कोई याद नहीं रखता बस दो दिन मेरी आपकी सबकी बात करते हैं वो भी सच नहीं आधा सच आधा झूठ मिलाकर अपने मकसद को हासिल करने के लिए। देश के सभी आदर्श लोगों को इन्होंने बाज़ार का सामान बना दिया है जिसे उपयोग कर सत्ता की सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं।
ये सब पुरानी सभी बातों को छोड़ चुके हैं भूल गये हैं और एक साथ मुहब्बत से रहते हैं मिलते हैं विचार विमर्श करते हैं। मगर हम देशवासी स्वार्थी लोगों के बहकावे में आकर उनके नाम पर बांटने बंटने की बात करते हैं। उनकी आत्माएं बेहद अफ़सोस करती हैं हमारी समझ और सोच पर और इसको देश भक्ति तो हर्गिज़ नहीं मानते हैं। आप जानते हैं वो सभी क्या चाहते हैं। उन सभी को अपने बुत और शिलालेख अच्छे नहीं लगते है क्योंकि इनका उपयोग उनकी विचारधारा के विपरीत देश को गलत राह पर ले जाने को ही किया जाता है इनकी तरह बनना कोई नहीं चाहता है। काश उनके पास कोई स्मार्ट फोन होता और वो सभी संदेश भेज कर आपको आगाह करते इन सब बातों से ऊपर उठने को। कोई नेता चुनावी लाभ के लिए सबको मुफ्त फोन किसी कंपनी के बंटवाने की बात कर रहा है जिसका चुनाव होने तक कोई बिल भी नहीं आएगा। कोई किसी तरह ऐसी सुविधा आकाश पर भारत क्लब के सदस्यों को उपलब्ध करवा दे तो कितना अच्छा हो। कुछ भी हो सकता है कोई अनुपम खेर का शो दावा किया करता था।