आग़ पानी को लगानी चाहिए ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
आग़ पानी को लगानी चाहिए
इश्क़ की ऐसी कहानी चाहिए ।
बेवफ़ाई का सिला देना हो गर
बात उनकी भूल जानी चाहिए ।
पत्थरों के लोग घर शीशे के हैं
और क्या क्या मेहरबानी चाहिए ।
आज तनहाई बहुत अच्छी लगी
रुत सुहानी अब बुलानी चाहिए ।
ज़िंदगी भी मौत को है ढूंढती
मौत को भी ज़िन्दगानी चाहिए ।
फ़ाश उनके राज़ होंगे एक दिन
बात दुनिया को बतानी चाहिए ।
झूठ की तक़रीर , सारे कर गये
सच भी "तनहा" की ज़ुबानी चाहिए ।
1 टिप्पणी:
उम्दा ग़ज़ल है👌
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