संवाद लेखक कौन है ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
संवाद लेखक , नहीं समझते तो डायलॉग राइटर समझते होंगे। शोले फिल्म के डायलॉग अभी तक याद हैं। कितने आदमी थे। जब तक तेरे पांव चलेंगे बसंती तब तक तेरे आशिक की सांस चलेगी। बसंती इन कुत्तों के सामने नहीं नाचना। होली कब है कब है होली। पचास कोस तक जब बच्चा रोता है तो मां कहती है सो जा सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा। इक बच्चा पूछता है ये गब्बर अंकल कौन हैं। 1973 की बात 2014 में उस से भी हिट डायलॉग याद करो। मैं नहीं आया मुझे गंगा मईया ने बुलाया है। गंगा पछताती होगी ये क्या और मैली हो गई। डायलॉग कमाल का था। बताओ भाइयो होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। क्या अभिनय क्या डायलॉग का अंदाज़ देश की जनता को यही तो पसंद आता है। मुझे उस लिखने वाले की ज़रूरत है जिस ने लिखे थे डायलॉग उनकी खातिर। नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं , मुझे राजनीति में नहीं आना है न कोई चुनाव लड़ना है। मुझे अपनी लिखी कहानी " हिलती हुई दिवारें " के डायलॉग लिखवाने हैं।
2010 की बात है ऑनर किलिंग पर लिखी मेरी कहानी छपी थी। एक फ़िल्मकार ने सम्पर्क किया फिल्म बनाने को सभी अधिकार हासिल करना चाहते थे। जब कारण पूछा तो बोले कि इस पर बहुत मेहनत करनी है और आपका सिर्फ कांसेप्ट होगा रॉयल्टी डायलॉग लिखने वाले को मिलेगी। फिर भाषा की बात करते हुए बोले कि हिंदी नहीं अंग्रेजी भाषा में डायलॉग लिखवाने हैं क्या लिख सकते हो। मेरे इक दोस्त इंग्लिश के
अध्यापक हैं उनसे लिखवा भेजी कहानी अनुवाद की हुई मगर उनको मज़ा नहीं आया। तब से कोई और निगाह में नहीं आया जो सुपरहिट डायलॉग लिख सकता हो। अचानक मन की बात याद आई तो उनका ख्याल आया है। अभी तक मालूम नहीं ये सारे डायलॉग किसने लिखकर दिए थे। आपको पता हो तो मुझे बता दो जो भी फायदा हुआ फिफ्टी फिफ्टी ।
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