जून 22, 2018

POST : 808 क्या मिलिए ऐसे लोगों से ( बात बेबात की ) डॉ लोक सेतिया

   क्या मिलिए ऐसे लोगों से ( बात बेबात की ) डॉ लोक सेतिया 

  भारत भूषण मिढा जी से फोन पर काफी बार बात हुई है। सत्ताधारी दल के नेता हैं और उनको हमेशा बताया है हरियाणा सरकार और सरकारी अधिकारीयों को लेकर। सी एम विंडो को लेकर और तमाम ऐप्स की असलियत। बहुत बार उन्हें खुद आकर मॉडल टाउन में पपीहा पार्क के पास गंदगी और आपराधिक गतिविधियों को देखने की बात हुई मगर वो कभी नहीं आये। आना मुश्किल भी था क्योंकि उनको पता था उनकी सरकार की नाकामी और तमाम स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं की हालत सामने देख कर कोई जवाब नहीं हो सकता था देने को। आज सुबह इधर काफी सफाई की गई है और कुछ ही दिन को उनके दल के नेताओं के सहयोग से जो लोग गंदगी फैलाते हैं उनको रोका गया है केवल मुख्य मंत्री के राहगिरी कार्यक्रम में रविवार को शामिल होने की खातिर तो उनको आकर अपने दल की पुस्तिका देना संभव हुआ। मगर वास्तव में उनके पास हरियाणा सरकार के अभी तक किये कार्यों पर कोई जवाब नहीं था। चार साल में क्या अच्छा किया मुझे सामने दिखलाने को कुछ भी नहीं था न ही बता ही पाए। केवल कागज़ों पर अपना इश्तिहार बांटने तक और उसका फोटो लेने से क्या हासिल होगा। मैं नियमित मोदी सरकार और मनोहर लाल खटटर सरकार की जनविरोधी नीतियों और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की वास्तविकता उसी तरह लिखता रहा हूं जिस तरह चालीस साल से बाकी सरकारों की आलोचना की है।  मगर ये पहली बार देखा है कि कोई सरकार जनहित की बात कहने और सच बोलने वाले को बदले की भावना से परेशान करे। हो सकता है कोई इस तरह औपचारिक बैठक को अपने दल और सरकारी नीतियों का समर्थन किया जाना बताने का झूठ बता दे मगर हमारी बात में मैंने कोई भी ऐसी बात नहीं कही न ही मिढ़ा जी ही मुझे बता ही सके। शायद उनको कोई औपचारिकता निभानी है दल को दिखाना है जन सम्पर्क किया है।  ऐसे दलगत प्रचार के इश्तिहार अच्छे दिन आने वाले हैं की तरह जुमला साबित होते हैं वोट हासिल करने को।

              कल ही इक और नेता का ब्यान पढ़ा कि खटटर जी वी आई पी कल्चर को खत्म करना चाहते हैं। उनका नंबर मिला किसी से तो सवाल किया किसे कहते हैं वी आई पी कल्चर। जो गंदगी तीन साल से हटाई नहीं गई मॉडल टाउन के निवासी हज़ार बार शिकायत करते रहे उसको सी एम के आने से तीन दिन पहले कुछ ही घंटों में साफ किया गया। इसको क्या वी आई पी कल्चर नहीं कहते। ऐसा भी नहीं कि ये सफाई बाद में भी नियमित रहेगी , ये पिछले साल भी एक दिन को हुआ था स्वच्छता अभियान पर चंडीगढ़ से अधिकारी आये थे यात्रा करते बड़ी बड़ी बसों में आरामदायक और वातानुकूलित सैर करते हुए। ये तो आम जनता के साथ भद्दा मज़ाक होता है जब ख़ास नेता या अधिकारी के आने पर साफ सफाई की जाती है। इस जगह गंदगी का कारण जो फुटपाथ पर पार्किंग की जगह को रोककर या हुड्डा के प्लॉट्स पर अवैध कब्ज़ा कर कारोबार करते हैं मगर अपनी गंदगी सड़क पर फैंकते हैं जिस से बदबू और प्रदूषित वातावरण रोग बढ़ाते हैं , उनको वी आई पी के आने पर तीन दिन को मना किया गया है ताकि मुख्य मंत्री को गंदगी दिखाई नहीं दे। जो लोग यहां बसते हैं वो इंसान नहीं हैं।

                              पार्क में जिम लगाने से लोग स्वस्थ होंगे या नहीं मगर इस गंदगी से रोग मिलता है ये सब को पता है। अगर इस जगह ये सब कार्य किया जाना उचित है तो कुछ दिन को रोकना कैसे सही है। लोगों को बताया जाता है सरकार ने जिम दिया मगर जो वास्तविक समस्याओं को हल नहीं किया उसकी बात नहीं करते सुनते। आपने कोई सेवक रखा हो और वो आपके पैसे से ही आपको कुछ दे तो उसको उपकार या मस्जिद एहसान नहीं कहोगे।  किसी भी नेता ने अपनी जेब से कोई विकास नहीं किया जो भी किया जनता के पैसे से फिर उसको बढ़ाई समझना कैसे सही है। मोदी जी और खटटर जी आपको देश की समस्याओं को हल कर दिखाना है। आप जब गिल्ली डंडा खेलते हैं ड्रम बजाते हैं नाचते झूमते हैं तो लगता है देश जल रहा है और नीरो बंसी बजा रहा है। सत्ता पाकर अपनों को रेवड़ियां पहले भी बांटते रहे हैं लोग और आज आप भी तो फिर अंतर क्या है। माफ़ करना बेपनाह अंधेरों को सुबह नहीं कह सकता , दुष्यंत कुमार की तरह सोचता हूं। ये कवि शायर लोग ऐसे ही परेशान रहते हैं सब गलत देख कर। ग़ालिब को नींद क्यों नहीं आती थी , मौत का डर नहीं था जानते थे एक दिन आनी ही है।

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