इन बेज़मीर लोगों के किरदार मत लिखो ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया " तनहा "
इन बेज़मीर लोगों के किरदार मत लिखो
बेदर्द शासकों को यूं अवतार मत लिखो।
बेदर्द शासकों को यूं अवतार मत लिखो।
मारे गये सभी लोग , बस ऐतबार कर
आईन देश का क्यों गया हार मत लिखो।
सच झूठ ,झूठ सच , आज सब लोग जानते
झूठे बयान देती ये सरकार मत लिखो।
मत पूछना हुआ क्या वो वादा बहार का
उनके फरेब की बात सौ बार मत लिखो।
संतान शासकों की , खुली छूट है मिली
उनके गुनाह सब माफ़ , बदकार मत लिखो।
उनसे सवाल क्या , और उनके जवाब क्या
कब कौन कर रहा क्या व्यौपार मत लिखो।
सब चोर कह रहे , बन गये हम शरीफ हैं
"तनहा" इसे किसी का इश्तिहार मत लिखो।
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