अगस्त 05, 2017

POST : 699 विश्व महाझूठा प्रतियोगिता ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

   विश्व महाझूठा प्रतियोगिता ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

         आपको हैरानी हो सकती है , सत्यमेव जयते , हमारा हर दीवार पर लिखा हुआ देश का घोषित नारा है और हम बात झूठों की प्रतियोगिता की कर रहे हैं। मगर सत्यमेव जयते लिखने से सच की विजय  नहीं हुई कभी भी और झूठ है कि कभी हारता नहीं। चुनाव हो अदालत हो या समाज में कोई भी जगह सब तरफ झूठ का डंका बजता है। सच के झंडाबरदार कहलाने वाले भी बिना झूठ की बैसाखी कदम तक नहीं रख सकते। विज्ञापन सरकारी हो चाहे किसी और का कभी भी सच नहीं होता , वास्तव में सच को ढोल पीट कर बताना पड़ता नहीं है। जो भी विज्ञापन बताता है अगर सच होता तो कोई समस्या होती ही नहीं। अभी तक हर तरह की प्रतियोगिता होती रही है , खेल की सुंदरता की , संगीत की , नृत्य की , यहां तक कि अपराधियों में दंगईयों में  सब से बड़ा कौन की कुश्ती होती रहती है। गब्बर सिंह की बात पचास कोस तक थी मगर आजकल के डाकू विश्व भर में दहशत का माहौल बनाते हैं। कई देश भी मुकाबला करते हैं सब से बड़ा आतंकवाद उन्हीं से है। राखी महंदी से लेकर हर तरह की प्रतियोगिता होती हैं। झूठ आज कितना महत्व हासिल कर चुका है सब जानते हैं। सच तो ये है कि आज सच भी झूठ के सामने नतमस्तक है। 
 
    इस मुकाबले में सब शामिल हो सकते हैं मगर सब को नियम शर्तों को स्वीकार करना होगा झूठ बोलने की झूठी शपथ खाकर। झूठ को शर्मसार नहीं करना है। वास्तविक झूठ वही कहलाता है जो कोई पकड़ नहीं पाए , जिस झूठ को लोग झूठ है सामने देखने के बावजूद भी झूठ  नहीं समझते हों। इक पुरानी कथा से समझ सकते हैं , कथा कहना ज़रूरी है ताकि चुटकुला कहने से आपको कुछ और नहीं लगे। कुछ बच्चे खेल रहे थे मैदान में और मास्टरजी उधर से निकले तो देखा इक कुत्ते का पिल्ला लिया हुआ है बच्चों ने। पूछा बच्चो क्या खेल खेल रहे हो , जवाब मिला मास्टरजी हमने शर्त लगाई हुई है कि हम सब झूठ बोलेंगे और जो भी सब से बड़ा झूठा साबित हुआ उसी को ये पिल्ला पुरुस्कार में दिया जायेगा। मास्टरजी हैरानी से बोल उठे कैसे दिन आ गए हैं आजकल समझ नहीं आता , जब हम तुम्हारी उम्र के थे तब हम ये भी नहीं जानते थे कि झूठ किसे कहते हैं। ये सुनते ही सब बच्चे बोल उठे थे मास्टरजी ले जाओ जी ये पिल्ला आपका हुआ। अब इस से बड़ा झूठ कोई कैसे बोलता। 
 
                          शामिल सभी के लिखित झूठ पढ़कर बताये जा रहे हैं , निर्णायक मंडल ध्यान से सुनकर अंक देता जा रहा है। धर्म वालों ने लिखा है उनसे बड़ा झूठा कोई कैसे हो सकता है , भगवान से सब को डराते हैं खुद नहीं डरते उन्हीं बातों के विपरीत खुद कर्म करते हुए।  मगर निर्णायक प्रभावित नहीं हुए क्योंकि उनका झूठ सब को साफ दिखाई देता ही नहीं बल्कि कोई भी उनकी बातों का सच समझता ही नहीं। बहुत आम लोग भी शामिल हुए जिन्होंने लिखा था हम वास्तव में अधर्म करते हैं और लोग हमको धर्मात्मा समझते हैं। मगर ये भी बहुत बड़ा झूठ नहीं समझा गया है। कलाकार साहित्यकार अभिनय करने भी दिखते जो होते वो नहीं की बात से खुद को दावेदार समझते हैं मगर उनकी असलियत भी छुपी हुई नहीं है। खुद को महान कहलाने वाले कितने छोटे हैं लोग जानते हैं और उनकी झूठ बोलने की आदत भी लाख बार विज्ञापन में नज़र आने के बावजूद भी सब समझते हैं उनकी अमीरी नहीं दरिद्रता की पहचान है , क्योंकि करोड़ों पास हैं तब भी और अधिक की हवस में सब करते हैं। उनका नाम शोहरत सब झूठी है मगर उनका झूठ पकड़ा जाता है। अदालती गवाह और वकील से न्यायधीश तक झूठ को कभी सज़ा नहीं देने और सच को कत्ल करते रहने के बाद भी झूठ की  वास्तविकता को सामने आने से रोकने में असफल होते हैं। उनका झूठ भी उच्च स्तर का नहीं है। टीवी अख़बार वालों के बार बार दोहराने के बाद कि उनका सच असली है दूसरों का नकली है , लोग उनपर भरोसा करते नहीं हैं। सब समझते हैं कोई उस के पास बिका हुआ है कोई इस के पास। 
 
         सब से आखिर में ताज उन्हीं के सर पर रखा गया है जिनका झूठ बेमिसाल है। राहत इंदौरी जी की नई ग़ज़ल की बात करना अनुचित नहीं होगा , उनसे उधर लेता हूं शब्द। झूठों ने झूठों से कहा है सच बोलो , सरकारी ऐलान हुआ है सच बोलो। उनकी सभी बातें झूठी हैं सब को सामने साफ दिखता है तब भी हर तरफ यही शोर है उनसे कोई नहीं है। बस उन्हीं की धूम है , उनकी जीत की मिसाल कोई नहीं , झूठ को उतना बड़ा ऊंचा कोई कभी पहले नहीं स्थान नहीं दिलवा सका है। बचपन में रेडियो झूठिस्तान सुना था , अब चौबीस घंटे वही सुनाई देता है , कोई इश्तिहार कोई टीवी चैनल कोई अख़बार उस से बचना नहीं चाहता। झूठ को सिंघासन मिल गया है। वैधानिक चेतावनी की तरह ये इक काल्पनिक झूठ है किसी जीवित या मृत व्यक्ति से इसका कोई तालुक्क नहीं है , ऐसा केवल इत्तेफाक हो सकता है कि आपको कोई प्रतीत हुआ हो। विदेश में भी पहले ही झूठ के सरदार की धूम थी तभी किसी देश ने शामिल होने की भूल नहीं की। विश्व में हमारा झूठ पहले पायदान पर है। 
 

 

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