मुझे जन्म देने से पहले , माँ ! ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया
यही अच्छा है कि मुझे अभी मार डालो , अपनी कोख में ही कर दो मेरे जीवन का अंत , अगर पाल-पोस कर बड़ी होने पर सालों बाद मार ही देना है , इस अपराध के लिये कि मैं अपनी इच्छा से जीना चाहती हूं , जिसको पसंद करती उसी से विवाह कर खुश रहना चाहती हूं , जाति - मज़हब की सीमा को नहीं मानती। अगर तब कानून से नहीं डरना , न ही इंसानियत की परवाह करनी है तो अभी भी क्यों संकोच करते हैं। कल अगर अपने झूठे मान सम्मान और अहंकार के लिये मुझे सूली चढ़ाना है तो मुझ पर उपकार कर दो , मुझे जन्म ही न लेने दो। आपके इस दकियानूसी समाज का यही चलन रहा तो हम बेटियां खुद ईश्वर से प्रार्थना करेंगी कि हमें नहीं जन्म दे ऐसे समाज में। जो समाज हैवानियत का नंगा नाच करने पर शर्मसार नहीं होता बल्कि शान से सिर उठाकर चलता है , उसमें बेटी बन जन्म लेना तिल तिल करके मरना है। उस समाज में बेटी , बहन , बहु क्या माँ तक का कोई स्थान नहीं हो सकता , उसे तो नारीविहीन होना चाहिए ताकि उसका अंत हो सके। जब बेटियां जन्म ही नहीं लेंगी तो वो समाज कब तक बचा रहेगा। मुझे ऐसे समाज से कुछ प्रश्न पूछने हैं।जिस धर्म , जिस इतिहास की आप बातें करते हैं , जिनपर कहते हैं गर्व है , क्या उसमें किसी ने प्यार नहीं किया था , प्रेम विवाह नहीं होते रहे , कन्या ने अपने वर चुनने के अधिकार का उपयोग नहीं किया था। किस किस को मिटाना चाहोगे , मीरा को , राधा को , कबीर के दोहों को , रहीम के दोहों को किताबों से नहीं जन जन के दिल से कैसे मिटा पाओगे। इक ताजमहल को ही नहीं और तमाम प्रेम के स्मारकों को ध्वस्त करना होगा , कितने ही धर्म-स्थल को तोड़ना होगा , प्यार का नामो निशां मिटाना है अगर। खुद मिट जाओगे , नहीं मिटा सकोगे।
आज मुझे हर समाज की , दुनिया भर की महिलाओं से इक बात कहनी है , जो माँ बनना चाहती हैं , बनने जा रही हैं। क्या आज जिसे अपनी कोख में पाल कर सृजन की अनूठी प्रसन्नता को हासिल करने का सौभाग्य प्राप्त कर रही हैं , कल अपने ही हाथों से झूठे रीति रिवाज़ों के नाम पर उसका अंत करना चाहेंगी।
ईश्वर ने तुम्हें मातृत्व का सुख इसलिए नहीं दिया कि तुम जब चाहो अपने ही अंश को मिटा दो। माँ बनना आसान नहीं है ममता का फ़र्ज़ निभाना होगा जीवन प्रयन्त। बेटी को जन्म देना चाहती हैं तो संकल्प लें उसकी रक्षा करने का। माँ के नाते को समझे बिना माँ बनने की भूल नहीं करना। मेरी ही नहीं हर बेटी की हर माँ से यही विनती है , वो बेटियां जो जन्म ले चुकी हैं और वो भी जो अभी जन्म नहीं ले पाई।
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