खामोश रहना नहीं आसां , पर कुछ भी कहना नहीं आसां
- लोक सेतिया "तनहा"
खामोश रहना नहीं आसां ,
पर कुछ भी कहना नहीं आसां।
जिनको नहीं तैरना आता ,
विपरीत बहना नहीं आसां।
कुछ ज़ख्म नासूर बन जाते ,
हर ज़ुल्म सहना नहीं आसां।
जो नफरतों ने खड़ी कर दी ,
दीवार ढहना नहीं आसां।
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