अप्रैल 22, 2018

मोदी मॉडल का लोकतंत्र ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

    मोदी मॉडल का लोकतंत्र ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

     2014 में चुनाव कैसे जीते और कैसे इतना बहुमत मिल गया , सच भाजपा तो क्या खुद मोदी जी को भी समझ नहीं आया। सभी लोग अचरज करते रहे हैं मोदी जी की तमाम बातों को सुनकर , खुद अपनी ही बात अपने ही पहले भाषणों में व्यक्त विचारों के उल्ट बातें और काम करते रहे हैं। सुनते आये थे अचानक अमीर हो जाने से आदमी खुद को खुदा समझने लगता है। लेकिन चुनाव जीतते ही कुछ भी और करने की बात से अधिक चिंता आगामी चुनाव जीतने की रहने लगी थी। ऐसा लगता है मानो ये चुनाव जीता ही अगले चुनाव कैसे जीतेंगे के मकसद को लेकर था। बस इसी चिंता में चार साल बीत गए हैं , और अभी तक जिन विदेशी चाहने वालों की जय जयकार का भरोसा था वही विरोध करने लगे हैं इसलिए बहुत ऐसे लोगों को भेजा इनविटेशन रद्द करने की नौबत आ गई। जनाब आपको वोट देश वालों ने देने हैं , आप 53 देशों की ख़ाक छानते रहे और बात उल्टा बिगड़ गई है। 
 
             लेकिन इसका अर्थ ये कदापि नहीं कि मोदी जी आगामी चुनाव हार सकते हैं। इस देश का महाज्ञानी और सच का झंडाबरदार मीडिया कब का घोषित कर चुका है कि मोदी का कोई विकल्प नहीं है। जिस युग में टीवी चैनलों अख़बारों ही नहीं मोबाइल फोन और डाटा तक सब के नित नये विकल्प खुलते हैं उस में इन बेचारों को सवा सौ करोड़ में कोई और काबिल नहीं दिखाई देता ठीक उसी तरह जैसे खुद अपने से अधिक कोई टीवी चैनल या अखबार लोकप्रियता में नहीं दिखाई देता। सब लोग समझना चाहते हैं कि जब मोदी सरकार के अच्छे दिन , स्वच्छ भारत , गंगा सफाई से मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया और न्याय व्यवस्था से लेकर बेटियों की सुरक्षा तक सब में सरकार नाकाम रही है। जब भाजपा की राज्य की सरकारों में खुलेआम दंगे और अपराधियों का समर्थन खुद सत्ताधारी दल के नेता मंत्री मुख्यमंत्री करते रहे हों और अदालत तक फटकार लगाती रही हो उसे लोग फिर से वोट देकर खुद अपनी जान जोखिम में क्यों डालना चाहेंगे। 
 
             मोदी जी को नया करने में बहुत मज़ा आता है , नतीजा जो भी हो मोदी जी फ़िल्मी खलनायक की तरह , खुश हुआ कहने का लुत्फ़ उठाते हैं। सौ दो सौ लोग नोटबंदी में मरे तो क्या हुआ। किसान ख़ुदकुशी करते हैं तो क्या हुआ , यार बेली बैंक को चूना लगाकर विदेश भागते हैं तो कोई चिंता नहीं। भाषण देना जुमले उछालना और मन की बात जैसा एकतरफा संवाद और करोड़ों लाख रूपये के विज्ञापन तो हैं शोर मचाने को। लेकिन फिर भी आगामी चुनाव से पहले उसी तरह जैसे 8 नवंबर को आठ बजे नोटबंदी की घोषणा की गई थी , ये घोषित किया जाएगा कि अगला चुनाव मोदी मॉडल के आधुनिक लोकतंत्र के अनुसार करवाया जाएगा। जिस में ईवीएम मशीन में आपके पास दो तरह के विकल्प होंगे। एक विकल्प होगा मोदी की भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में बटन दबाने का या फिर दूसरा विकल्प होगा बाकी सभी दलों के उम्मीदवारों के सामने उनके विरोध में बटन दबाने का। आपको जो पसंद हो करें नतीजा वही होगा। भाजपा के विरोध का कोई बटन नहीं होगा न ही बाकी दलों के समर्थन का ही कोई बटन होगा। 8 को उल्टा लिखो तब भी 8 और सीधा लिखो तब भी 8 होता है। और आठ जनता के लिए अशुभ भले हो मोदी जी की पसंद का लकी नंबर है।

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