दिसंबर 26, 2013

नेता जी की नैतिकता ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

      नेता जी की नैतिकता ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

     नेता जी को सदा चिंता रहती है नैतिक मूल्यों की। वे जो करते हैं केवल नैतिकता के आधार पर ही करते हैं। और उनके हर इक कदम से नैतिकता और भी मज़बूत होती है , बेशक उनका वो कदम कुर्सी पाने के लिये अपने दल को छोड़ दूसरे दल में जाना ही क्यों न हो। रिश्व्त लेना उनके उसूल के खिलाफ है , मगर भेंट स्वीकार करने से नैतिक मूल्यों की कोई हानि नहीं होती है ये उनका मानना रहा है। जो भी लोग नेता जी के पास आते हैं अपना कोई काम करवाने के लिये , नेता जी के सचिव उनको समझा देते हैं कि नकद पैसों की रिश्वत नेता जी अनैतिक कार्य मानते हैं इसलिये कुछ भी काम करवाने के लिये छुप कर रिश्व्त देने की जगह आप खुले आम कोई महंगा उपहार अथवा भेंट दें। इस बार सत्ता में आने के बाद जिन लोगों ने बड़े बड़े काम करवाने थे उनहोंने नेता जी को सोने के मुकुट , चांदी की गदा , सोने की तलवार जैसी कीमती चीज़ें उपहार में दी हैं और उन सब के काम हो चुके हैं। ये सब कीमती उपहार नेता जी की बैठक की शोभा बड़ा रहे हैं। ये फिक्स डिपॉज़िट हैं नेता जी के जो आयकर से भी मुक्त हैं , नेता जी को जिस दिन ज़रूरत होगी इनको बाज़ार में बेच देंगे। सोने चांदी का दाम कभी कम नहीं होता है , नेता जी को खूब पता है ।

                          एक हादसा हो गया है। नेता जी के घर से वो सारा कीमती सामान चोरी हो गया है। नेता जी बेहद दुःखी हैं , उन्हें लग रहा है जैसे उनकी सारी की सारी नैतिकता की पूंजी कोई लूट कर ले गया हो। नेता जी ने पुलिस वालों को दो दिन का समय दिया है चोर का पता लगाने और चोरी का माल बरामद करने के लिये। खबर है कि नेता जी के घर से पचास लाख कीमत के उपहार चोरी हो गये हैं। चोरों को कीमत पता चली तो वे बहुत खुश हुए। मगर जब वे सारा सामान बाज़ार में बेचने गये तो उनके पैरों तले से ज़मीन खिसक गई है। सोना चांदी का सामान खरीदने वालों ने जब परखा तो पाया कि सब का सब नकली है। बाहर सोने की पॉलिश है और अंदर पीतल ही पीतल है , चांदी की जगह कोई बहुत सस्ती धातु है सफेद रंग की। इसलिये चोरों ने खुद सारा सामान थानेदार जी से भाईचारा निभाने के लिये जाकर उनके हवाले कर दिया है ताकि वो नेता जी को खुश कर नौकरी में तरक्की हासिल कर सकें और अपनी पुलिस की बदनामी से बच सकें। थानेदार जी ने पूरा सामान नेता जी के हवाले कर दिया और कहा चोरों से गलती हो गई थी जो अपने ही भाई के घर घुस आये थे , जब पता चला तो गलती को सुधारने के लिये खुद ही चोरी का माल वापस कर गये हैं। आप भी उनको माफ़ कर दें और चोरों को छोड़ने की इजाज़त दे दें। ये सुनते ही नेता जी नाराज़ हो गये और बोले कि जो उनको ठगे भला उसको कैसे छोड़ा जा सकता है। जब नेता जी नहीं माने और चोरों को सज़ा देने की ज़िद पर अड़ गये तो थानेदार जी ने पूरी असलियत उनको बता ही दी। कहा नेता जी ये सारा सामान ही नकली है और इसकी कीमत कुछ भी नहीं है। आपको ठगा उन लोगों ने है जो आपको ये सब उपहार दे कर अपने काम करवा गये हैं , इन चोरों को तो ईनाम मिलना चाहिये आपको अपने लोगों की असलियत बताने के लिये। नेता जी उदास हो कर कह उठे कि उनके साथ लोग वही करते रहे जो कहा जाता है कि हम नेता लोग किया करते हैं। नेता जी बोले सच बताना कहीं तुम पुलिस वालों ने तो असली को नकली नहीं बना दिया। थानेदार बोले हज़ूर पुलिस वाले राजनेताओं कि तरह बेईमान नहीं हुए अभी तक भी कि जिस पेड़ की छांव में बैठें उसकी ही जड़ों को काटने का काम करें। नेता जी सोच में पड़ गये कि अब क्या किया जाये ।

                      तभी विरोधी दल के नेता का फोन आया चोरी की घटना पर अफ़सोस जताने के लिये। वे नेता जी के भरोसे के मित्र हैं इसलिये नेता जी ने सारा मामला उनको बता कर पूछा आप ही मेरे मार्गदर्शक रहे हो , आप की बात मान कर ही आज मैं इस जगह पहुंचा हूं। आप ही बतायें उनके साथ क्या किया जाये जो मेरे साथ इतना बड़ा छल कर गये , सब को जानता हूं , सब को फायदा पहुंचाया है। उन विरोधी दल के नेता जी का कहना था कि इस बात का किसी से ज़िक्र नहीं करें कि सब नकली है। ये राज़ राज़ ही रहने दें कि कोई आपको मूर्ख बना अपने काम करवा गया है। जैसे लोग आपको मूर्ख बना खुश कर अपना मतलब हल करते रहे हैं वैसे ही अब आप भी करें। सच पूछो तो ये सामान नौटंकी वालों का है , भला इस युग में मुकुट , गदा , तलवार कोई उपयोग करता है। आप भी इसको किसी और को देकर अपना काम निकलवा सकते हैं। अगर आपको सच में ताज पहनना है तो ये सब आप ले जाकर मुख्यमंत्री जी को उनके जन्म दिन पर दे आयें और बदले में मंत्री पद पक्का समझें। सभी समाचार पत्रों में खबर छपी है कि नेता जी राजधानी जा कर मुख्यमंत्री जी को सोने की तलवार सोने का मुकुट और चांदी कि गदा भेंट कर आये हैं। नेता जी ने बयान दिया है कि उनको जो भी उपहार मिलते हैं जनता से वे उसे अपने पास नहीं रखते है बल्कि पार्टी को ही दे देते हैं। उनकी नैतिकता ऐसे उपहार अपने पास रखने की अनुमति नहीं देती है। उनको मंत्री बना दिया गया है और उनका कहना है कि वे सदा की तरह नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति ही करते रहेंगे ।

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