प्यार का पहला मधुर अहसास बहुत है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया
प्यार का पहला मधुर अहसास बहुत है
याद रखने को वही मधुमास बहुत है ।
आपके इस शहर की पहचान अलग है
काम की बातें नहीं बकवास बहुत है ।
रास्तों पर हैं खड़े बस सोच रहे हैं
चाह उसकी है सभी को ख़ास बहुत है ।
दोस्तों के घर भले ही दूर हों कितने
दिल में चाहत है तो लगता पास बहुत है ।
मिल जिन्हें सत्ता गई तकदीर है उनकी
आम लोगों को मिले बनवास बहुत है ।
ख़ास लोगों की नई संसद है बनाई
आम लोगों का किया उपहास बहुत है ।
हैं सभी आज़ाद ' तनहा ' ख़ौफ़ में लेकिन
ज़ुल्म बढ़ता जा रहा पर आस बहुत है ।
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