हम बिक गये ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
दिल के हाथों सरे-आम हम बिक गये
इस मुहब्बत में बेदाम हम बिक गये ।
भूल से आ गए मयकदे में कभी
पी के हाथों तिरे , जाम , हम बिक गये ।
आये बन कर ख़रीदार बाज़ार में
और ले कर तिरा नाम हम बिक गये ।
तेरे ज़ुल्मों-सितम को भी , मेरे सनम
जान कर तेरा इनाम , हम बिक गये ।
( 19 मार्च 2001 )
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