ख़ामोश हो , उदास हो ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
कुछ दूर हो कुछ पास हो
कैसा हसीं अहसास हो ।
हम को ख़िज़ा का डर नहीं
जब प्यार का मधुमास हो ।
हम अब अकेले हैं तो क्या
इक दिन है मिलना आस हो ।
तुमको बताएं किस तरह
तुम कौन हो क्यों ख़ास हो ।
पहला था जो अंतिम भी है
हर पल वही आभास हो ।
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