अक्टूबर 31, 2023

रुसवाईयां ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

                रुसवाईयां ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया  

न बार बार आज़माया करो 
यूं ही न दिल को जलाया करो । 
 
वो न बदलेंगे कभी 
न ये उम्मीद लगाया करो । 
 
जहां होती हो रुसवाई 
न उस गली में जाया करो । 
 
मिले जो चुरा के नज़र 
उसे न कुछ समझाया करो । 
 
झूठ के चाहने वालों को 
सच न कोई बताया करो । 
 
फ़रेब हर बात में है 
इन बातों में न आया करो । 
 
कभी जो प्यार से नहीं मिलता 
न उसे घर बुलाया करो । 
 
      ( 13 अक्टूबर 1995 ) 
 

 

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