अक्तूबर 04, 2018

लगे रहो मोदी भाई जी ( कथा कहानी ) डॉ लोक सेतिया

     लगे रहो मोदी भाई जी ( कथा कहानी ) डॉ लोक सेतिया 

             ऊपर से निर्देश आया है उधार के गांधी पटेल को छोड़ो उनकी कोई ज़रूरत नहीं है।  पहले पता होता तो दिल पर पत्थर रखकर गांधी गांधी काहे रटते। अपने आखिर अपने होते हैं , जब अटल बिहारी वाजपेयी को लोग इतना चाहते हैं तो हमारे दल को किसी और के बापू दादा को अपना बनाने की ज़रूरत क्या है। खुद भी अटल जी को समझो और सब दल वालों को भी समझाओ। अपनी तस्वीरें हटवा कर वाजपेयी जी की लगवाओ। अटल अटल अटल गाओ , अगले चुनाव में यही मुद्दा बनाओ। लोग इंदिरा की मौत पर राजीव की मौत पर उनके दल को वोट दे सकते हैं तो अटल जी को लेकर सहानुभूति की लहर चलाओ। अच्छे दिन खत्म होने को हैं फिर से बुलाओ , आओ आओ। इस बार खाओ और खिलाओ का नारा उचित है बिल्कुल नहीं शर्माओ। 
                                                                                                                                       मोदी जी को अटल बिहारी वाजपेयी जी की जीवनी पढ़नी पड़ रही हैं , अब उनके सहारे नैया पार लगने की उम्मीद है। उनकी लिखी कविताएं और उन पर लिखी किताबें बार बार पढ़नी हैं ताकि इस बार कहीं कोई गलती नहीं हो जाये। मामला लगे रहो मुन्ना भाई जैसा बन गया है। पढ़ते पढ़ते मोदी जी को वाजपेयी जी नज़र आने लगे , उनसे बातें करने लगे समझने समझाने लगे। बात बात में भगवान राम जी की बात निकल आई तो वाजपेयी जी ने बताया खुद राम जी ने संदेश भिजवाया है। मोदी जी ने पूछा बताओ क्या आदेश दिया है उनको भरोसा रखना चाहिए 2022 तक मंदिर बनवा देंगें अभी शामियाने में गुज़ारा करना विवशता है। अटल जी ने कहा भगवान राम जी को भी कोई जल्दबाज़ी नहीं पसंद वो खुश हैं हर हाल में। बनवास की आदत रही है उनको सत्ता सिंहासन का मोह कब रहा है। फिर क्या चाहते हैं रामजी बताओ मुझे क्या करना है। अटल जी ने राम जी की लिखी हुई चिट्ठी मोदी जी को पकड़ा दी। मोदी जी पढ़ रहे हैं और क्योंकि वाजपेयी जी ने बताया कि ये गोपनीय है मुझे आपको देना था बिना पढ़े हुए इसलिए पढ़कर सुना रहे हैं। 
 
     मेरे भक्त मोदी जी आप और आपका दल पता चला है राम अर्थात मेरे भक्त ही नहीं देश भक्त भी बाकी सब से बढ़कर हो। हर किसी से देशभक्त होने का सबूत मांगते फिरते हो , ऐसे में अवसर उपयुक्त है आप और आपके दल के लोग और आपके बाकी देशभक्त संगठन भी अपनी सच्ची देशभक्ति और भगवान के भक्त होने की मिसाल कायम कर दिखलाएं। कोई तपस्या नहीं करनी केवल जब तक मंदिर नहीं बनवा लेते वो भी मेरी मर्यादाओं का पालन करते हुए सदभावना पूर्वक तब तक आप सभी को अपने बंगले महल और सभी सुख सुविधाओं को त्याग कर सादगी से रहना होगा। कोई मंत्री सांसद विधायक या आपके दल का सदस्य शानो शौकत से नहीं रहेगा , कोई सरकारी सुविधा का उपयोग नहीं करेगा और घर बार सभी धन दौलत देश के खज़ाने को सौंप देंगे ताकि दीन दुखियों के दुःख दर्द मिटाने का काम किया जा सके। आपके दल की संपत्ति गरीबों को घर बनाने पर खर्च की जाएगी और किसी भी नेता के पास कोई पैसा या साधन नहीं रहेगा। जी बिलकुल जैसे सन्यासी रहते हैं सादा ढंग से छोटे छोटे घरों में। आप अपने दल के सभी सदस्यों को मन की बात की तरह या टीवी पर देश को सीधे प्रसारण की तरह ये संदेश सुनाओगे। मोदी जी मुझे पता है पत्नी होते हुए भी उसका त्याग का सुख क्या होता है , मगर सीता जी की तरह इस बार अग्निपरीक्षा आपको और आपके दल को देनी होगी। आपका देश से प्यार और मुझसे नाता कितना खरा है साबित कर दिखाओ। छोड़ो सब कुछ और मेरी तरह रहकर दिखलाओ। या फिर मुझे भूल रामरहीम के गुण गाओ , हरियाणा से खटट्र को ले आओ। उसकी तरह लाज शर्म छोड़ कर निभाओ , चाहो तो अपने बाबा को बाहर ले आओ। 
 
           तुरंत मोदी जी अनुपालना की और अपने दल के साथ बाकी सभी दल वालों को भी विनती की , आजकल तो हमारे साथ आपके नेता भी भगवान को रिझाने में लगे हैं तो इस नेक काम में सबका साथ होना ही चाहिए। इसलिए संविधान में उचित बदलाव किया जायेगा ताकि भविष्य में धनबल की राजनीति का ही अंत हो जाये। जिसे वास्तव में देश सेवा करनी है वही राजनीति में आये अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को। अभी इक लंबी ख़ामोशी छाई हुई है। देशभक्ति के साथ भगवान राम जी की आज्ञा दोनों की बात है। नहीं कोई केमिकल लोचा नहीं है , अटल जी ने खुद मोदी जी को बताया है भगवान का संदेश है। अटल जी और राम जी दोनों ही आशा की किरण की तरह हैं। विचार विमर्श जारी है , शायद सभी नेता त्याग की तैयारी कर रहे हों क्योंकि बाहर कोई दिखाई नहीं दे रहा है। राम जी भी इम्तिहान ले रहे हैं अब कोई चारा बाकी नहीं है। 

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