अगस्त 04, 2019

POST : 1167 दोस्ती का अर्थ किस्से कहानियां ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया

   दोस्ती का अर्थ किस्से कहानियां ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया 

दोस्त दोस्ती मेरे लिए दुनिया से सबसे महत्वपूर्ण यही संबंध है । मेरा तो सारा लेखन ही दोस्त और दोस्ती  के नाम है । कविता कहानी ग़ज़ल आलेख क्या नहीं लिखा । बहुत दोस्त मिले बिछुड़े हैं फिर भी अभी भी मुझे उस सच्चे दोस्त की खोज है जो साथ हो तो कुछ भी और नहीं चाहिए । दोस्त से बढ़कर कीमती कोई चीज़ दुनिया की नहीं हो सकती है । दो शब्दों में दोस्त मिल जाये तो भगवान की भी ज़रूरत नहीं है । आज संक्षेप में बताना है आज के दिन पर दोस्ती का अर्थ क्या है । पहले कुछ रचनाओं को फिर से पढ़ते हैं । 
 

और कुछ भी नहीं बंदगी हमारी : - लोक सेतिया "तनहा"

और कुछ भी नहीं बंदगी हमारी 
बस सलामत रहे दोस्ती हमारी ।

ग़म किसी के सभी हो गए हमारे 
और उसकी ख़ुशी अब ख़ुशी हमारी ।

अब नहीं मांगना और कुछ खुदा से 
झूमने लग गई ज़िंदगी हमारी ।

क्या पिलाया हमें आपकी नज़र ने 
ख़त्म होती नहीं बेखुदी हमारी ।

याद रखनी हमें आज की घड़ी है 
जब मुलाक़ात हुई आपकी हमारी ।

आपके बिन नहीं एक पल भी रहना 
अब यही बन गई बेबसी हमारी ।

जाम किसने दिया भर के आज "तनहा" 
और भी बढ़ गई तिश्नगी हमारी ।  


दोस्त भूले दोस्ती हम क्या करें  : - लोक सेतिया "तनहा"

दोस्त भूले दोस्ती हम क्या करें 
बन गए सब मतलबी हम क्या करें ।

प्यार से देखा हमें जब आपने 
ले गई दिल सादगी हम क्या करें ।

अब बताएं सब हुस्न वाले हमें 
जब सताए आशिकी हम क्या करें ।

एक दिन हम ढूंढ ही लेते खुदा 
खो गई है ज़िंदगी हम क्या करें ।

दिल हमारा लूट कर कल ले गईं 
सब अदाएं आपकी हम क्या करें ।

प्यार उनको जब रकीबों से हुआ 
फिर हमारी बेबसी हम क्या करें ।

आज कितना दूर देखो हो गया 
आदमी से आदमी हम क्या करें ।

सब परेशां लग रहे इस शहर में 
हम यहाँ पर अजनबी हम क्या करें ।

आज "तनहा" मार डालेगी तुम्हें 
अब किसी की बेरुखी हम क्या करें । 


जिये जा रहे हैं इसी इक यकीं पर  : - लोक सेतिया "तनहा"

जिये जा रहे हैं इसी इक यकीं पर 
हमारा भी इक दोस्त होगा कहीं पर ।

यही काम करता रहा है ज़माना 
किसी को उठा कर गिराना ज़मीं पर ।

गिरे फूल  आंधी में जिन डालियों से  
नये फूल आने लगे फिर वहीं पर ।

वो खुद रोज़ मिलने को आता रहा है 
बुलाते रहे कल वो आया नहीं पर ।

किसी ने लगाया है काला जो टीका 
लगा खूबसूरत बहुत उस जबीं पर ।

भरोसे का मतलब नहीं जानते जो 
सभी को रहा है यकीं क्यों उन्हीं पर ।

रखा था बचाकर बहुत देर "तनहा" 
मगर आज दिल आ गया इक हसीं पर ।


मिला था कभी इक पैगाम दोस्ती का : - लोक सेतिया "तनहा"

मिला था कभी इक पैगाम दोस्ती का 
हमें अब डराता है नाम दोस्ती का ।

बुझाता नहीं साकी प्यास क्यों हमारी 
कभी तो पिलाता इक जाम दोस्ती का ।

नहीं दोस्त बिकते बाज़ार में कभी भी 
चुका कौन पाया है दाम दोस्ती का ।

करेगा तिजारत की बात जब ज़माना 
रखेंगे बहुत ऊँचा दाम दोस्ती का ।

हमें जीना मरना है साथ दोस्तों के 
सभी को है देना पैग़ाम दोस्ती का ।

वफ़ा नाम देकर करते हैं बेवफाई 
किया नाम "तनहा" बदनाम दोस्ती का ।


ये सबने कहा अपना नहीं कोई  : - लोक सेतिया "तनहा"

ये सबने कहा अपना नहीं कोई 
फिर भी कुछ दोस्त बनाये हमने ।

फूल उनको समझ कर चले काँटों पर 
ज़ख्म ऐसे भी कभी खाये हमने ।

यूँ तो नग्में थे मुहब्बत के भी 
ग़म के नग्मात ही गाये हमने ।

रोये हैं वो हाल हमारा सुनकर 
जिनसे दुःख दर्द छिपाये हमने ।

ऐसा इक बार नहीं , हुआ सौ बार 
खुद ही भेजे ख़त पाये हमने ।

हम फिर भी रहे जहां में "तनहा" 
मेले कई बार लगाये हमने ।  


   मेरी जान , मेरे दोस्त ( कविता ) डॉ लोक सेतिया 

अक्सर आता है मुझे याद 
पहला दिन कालेज का
झाड़ियों के पीछे
पत्थरों पर बैठे हुए थे
हम दोनों कालेज के लान में ।

रैगिंग से हो कर परेशान 
कितने उदास थे हम 
कितने अकेले अकेले
पहले ही दिन कुछ ही पल में
हम हो गये थे कितने करीब ।

अठारह बरस है अपनी उम्र 
आज भी लगता है कभी ऐसे
कितनी यादें हैं अपनी
जो भुलाई नहीं जाती 
भूलना चाहते भी नहीं थे
हम कभी ।

पहली बार मुझे
मिला था दोस्त ऐसा 
जो जानता था
पहचानता था
मुझे वास्तव में ।

बीत गये वो दिन कब जाने
छूट गया वो
शहर उसका बाज़ार
गलियां उसकी ।

बरसात में भीगते हुए  
हमारा कुछ तलाश करना
बाज़ार से तुम्हारे लिये 
खो गई सपनों जैसी
प्यारी दुनिया हमारी ।
 
मगर भूले नहीं हम
कभी वो सपने
जो सजाए थे मिलकर कभी 
अचानक तुम चले गए वहां
जहां से आता नहीं लौटकर कोई ।

मुझे नहीं मिला
फिर कोई दोस्त तुम सा 
खाली है मेरे जीवन में
इक जगह
रहते हो अब भी तुम वहां ।

आज भी सोचता हूँ
जाकर ढूंढू 
उन्हीं रास्तों पर तुम्हें जहां
चलते रहे दोनों यूं ही शामों को
अब कहां मिलते हैं
इस दुनिया में तुझसे दोस्त ।

अब क्या है इस शहर में
इस दुनिया में
बिना तेरे मेरी जान मेरे दोस्त ।


साया ( कविता ) डॉ लोक सेतिया 

पी लेता हूं 
यूं तो अक्सर
ज़िंदगी का
मैं ज़हर ।

जाने क्यों
फिर भी कभी
भर आती हैं आंखें 
और घुटने
लगता है दम ।

रोकने से
तब रुकते नहीं
आंखों से आंसू
तनहाई में अक्सर ।

मन करता है
जा कर पास तुम्हारे
चुप चाप बैठ कर
जी भर के रो लेने को ।

सोचता हूं 
मैं कभी कभी
अकेले में ये भी
जिसकी तलाश है मुझे 
तुम वही हो कि नहीं ।

भीगी पलकों के
हम दोनों के शायद
इस नाते को कभी
मैं नहीं कोई भी
नाम दे पाया ।

तुम्हें भी
याद आता है कभी
छत के कोने में देर रात तक
राह तकता हुआ
गुमसुम सा
खड़ा कोई साया । 

ऊपर की रचनाओं से कुछ समझ आया होगा ,  लिखा हुआ बहुत है कहानियां भी बड़ी बड़ी मगर अब थोड़े में असली बात कहना चाहता हूं । कुछ मिसालें भी हैं फिल्म से और कथा कहानियों से लेकर । दोस्त साथ रहें या दूर भी कभी दोस्ती कायम रहती है । बात फिल्मों से की जाये तो दोस्ती फिल्म की कहानी गीत सभी दोस्ती को समझने को बहुत हैं । दोस्ती की खातिर कुछ भी करते हैं कोई एहसान कोई क़र्ज़ नहीं समझते हैं । बाकी हर रिश्ते नाते में हिसाब होता है दोस्ती में कभी हिसाब किताब नहीं होता है । संगम फिल्म में दोस्त जिसको चाहता है अपनी चाहत उस पर कुर्बान कर देते हैं जान भी दे देते हैं हंसते हंसते । आदमी फिल्म में भी यही दोहराया गया था चौदवीं का चांद फिल्म में दोस्ती की खातिर नायिका से जाने बिना विवाह करने के बाद जब पता चलता है कि गलती से दोस्त ने खुद जिसको पसंद करता उसी से विवाह करने को कह दिया तो हर रिश्ते से पहले दोस्त की ख़ुशी ज़रूरी लगती है । कृष्ण अर्जुन की दोस्ती और सुदामा की दोस्ती दोनों अपनी जगह हैं मगर कर्ण की दोस्ती गलत होने पर भी दोस्त का साथ जंग में देना अपनी जगह है । इतिहास में भी दोस्त शासक को खरी बात कहने से नहीं डरते ऐसा मिलता है और सही मार्गदर्शन आपका सच्चा हितेषी दोस्त ही हो सकता है । शोले फिल्म की जय वीरू की दोस्ती भी याद रहती है और जंज़ीर फिल्म में इक गुंडे की पुलिस अधिकारी से दोस्ती उसको क्या से क्या बना देती है । फिल्मों ने दोस्ती पर कई लाजवाब गीत दिए हैं ।

यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी । कोई जब राह न पाए मेरे संग आये कि पग पग राह दिखाए मेरी दोस्ती मेरा प्यार । दोस्ती में निराशा भी मिलती है और कभी कोई गलतफ़हमी भी मगर सच्ची दोस्ती कभी मिटती नहीं है । जो लोग मतलब से दोस्ती करते हैं या अनबन होने पर दुश्मनी करने लगते हैं कभी सही मायने में दोस्त नहीं होते । जिनके पास अच्छे दोस्त होते हैं दुनिया के सबसे खुशनसीब और धनवान लोग वही होते हैं । इतना बहुत है कहा तो बहुत जा सकता है मगर आज दोस्तों को दोस्ती के शुभ दिन की बधाई और शुभकामना संदेश इतना ही है कि इक सच्चा दोस्त हज़ार रिश्तेदारों से बढ़कर है अपने दोस्त को संभाल कर रखना खो नहीं जाये कहीं कोई भी । 

           एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो , ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो । 
 
 
 Dosti Shayari in Hindi: दोस्तों के लिए सबसे अच्छी और बेस्ट दोस्ती शायरी


 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Sundar rachanao se yukt aalekh...👌👍