अक्टूबर 03, 2024

POST- 1900 दिन हों पचास हज़ार ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

            दिन हों पचास हज़ार ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  

बड़े लोगों अमीर लोगों राजनेताओं अभिनेताओं नाम शोहरत वालों के जन्म दिन पर सोशल मीडिया टीवी चैनल अख़बार पर विज्ञापन और जगह जगह बोर्ड लगाए जाते हैं पोस्टर छपते हैं । सत्ताधारी नेताओं के जन्म दिन पर कुछ उनके प्रशंसक चाहने वाले उनके साथ अपना भी नाम फोटो बैनर छपवा लगवाते हैं । इधर शासक नेता का जन्म दिन तमाम जगहों पर धूम धाम से मनाया जाता है केक काटते हैं मिठाई खिलाते हैं और मिलकर सभी यही गीत गाते हैं तुम जियो हज़ारों साल साल के दिन हों पचास हज़ार । अब तक साल में 365 दिन ही होते हैं पचास हज़ार दिन हों तो इस ढंग से 137 साल लगेंगे इक साल पूरा होने में मतलब लोग पहले जन्म दिन पर बूढ़े होने की नहीं जाने चार दिन की ज़िंदगी का क्या भरोसा कौन जीता है कौन नहीं का सवाल खड़ा हो । खैर शुभकामनाएं देना अच्छी बात है हिसाब किताब लगाकर नहीं बेहिसाब देते हैं , कहते हैं जो भी नियमित रूप से ऐसी शुभकामना संदेश का आयोजन किया करता है इक दिन नेता बन ही जाता है । लेकिन कुछ लोगों की खातिर कैलेंडर से छेड़छाड़ का नतीजा कभी सोचा क्या होगा । आप अपना ही नहीं अपने आका का भी पहला जन्म दिन मना भी सकोगे या नहीं या फिर पौराणिक कथाओं की तरह आयु को सौ साल नहीं करोड़ों साल बनाने को कुछ करना पड़ेगा । 
 
वास्तव में अगर साल पचास हज़ार दिन का होगा तो कोई उम्र में छोटा बड़ा नहीं होगा , भाई बचपन में लंबाई कम बड़े होने पर अधिक हो तो क्या होंगे तो सभी इक साल के देशवासी । सोलह अठाहर बरस का कोई झगड़ा लफड़ा नहीं होगा वोट देने का अधिकार जन्म लेने के साथ मिल जाएगा कोई गोदी में उठा कर किसी का वोट डलवाएगा । पांच साल की सरकार का मतलब जो शासक बना ज़िंदगी भर स्थाई सरकार चलाएगा , पांच वर्षीय योजनाओं का क्या हुआ कौन जान पाएगा । महिलाओं की उम्र बताने की गंभीर समस्या भी हल हो जाएगी दिन दिन गिनती घटती हुई बताने की नहीं नौबत आएगी । अभी तो मैं जवान हूं अभी तो मैं जवान हूं की मधुर आवाज़ दिल को कितना भाएगी , दुल्हन की डोली जो दादी सजाएगी वो भी खुद को देख पलकें झुकाती शर्माएगी । सौ साल जीने की आरज़ू कौन करेगा , इतनी छोटी उम्र में आहें कौन भरेगा इश्क़ प्यार मुहब्बत की कोई दास्तां नहीं बनेगी , भला कुछ महीने का लड़का लड़की स्कूल कॉलेज पढ़ेगा या खेल खेल में ज़िंदगी बसर करेगा । शिक्षा से छुटकारा होगा हर बच्चा न्यारा प्यारा दुलारा होगा बस हंसते हंसते गुज़ारा होगा , सारा जहां हमारा होगा । 
 
 Tum jiyo hazaron saal - An online Hindi story written by Indu sharma |  Pratilipi.com

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