अक्तूबर 23, 2018

वैधानिक चेतावनी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

        वैधानिक चेतावनी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया 

   म्यूच्यूअल फंड्स का विज्ञापन सभी दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ने को सचेत करता है। हर शराब की बोतल पर है सिगरेट की डिब्बी पर भी सावधानी की बात लिखना ज़रूरी है। बीमा कंपनी वालों की बात ओह माय गॉड फिल्म तक बना डाली मगर बदला नहीं चलन कोई भी। चेतावनी देने से किसी का धंधा मंदा नहीं हुआ है। चर्चा हो रही है मुहब्बत इश्क़ प्यार के बाज़ार की , कुछ दिनों से गुलाब कम बिक रहे हैं आई लव यू वाले महंगे कार्ड की बात क्या सस्ते भी कोई खरीदार नहीं मिलता है। आशिक़ लोग कभी डरपोक नहीं होते थे , जब प्यार किया तो डरना क्या। मगर इधर डर महबूबा के बाप का नहीं है न उसके भाइयों का ही , महबूबा ही कभी बाद में मीटू कर सकती है डर सताता है। मजनू को पहले कोई चेतावनी देता पत्थर मारने की नौबत भी होगी तो शायद वो भी सौ बार सोचता। हीर रांझा रोमियो जूलियट की कहानी कुछ और होती अगर उनको अंजाम का पता होता पहले से। मगर प्यार के बाज़ार का कारोबार करने वाले आशिक महबूबा दोनों की चिंता समझते हैं। तभी हर मुहब्बत का इज़हार करने वाले उत्पाद पर बाद में मीटू की बात लिखनी ज़रूरी समझी जा रही है। कोई भी कारोबार करने वाला ये जोखिम नहीं उठाना चाहता कि उनके उत्पाद किसी भी तरह से किसी को इश्क़ विश्क का सबक पढ़ाने को ज़िम्मेदार रहे हैं। किसी को प्यार का इज़हार करना है या नहीं उनके उपहार बेचने का उससे कोई मतलब नहीं है। भविष्य में किसी होने वाली घटना से कारोबार करने वाली कंपनी का कोई नाता नहीं होगा। बहुत ही बारीक शब्दों में चेतावनी लिखी रहती है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता , पहले अपनी महबूबा से पूछ लें कि किसी मतलब या ज़रूरत से तो नाता नहीं बना रही और कभी बाद में मीटू में शामिल होकर खुद को भोली मासूम बेचारी कहकर आशिक़ को बदनाम तो नहीं करोगी। हैरानी की बात नहीं है आजकल प्यार भी सोच समझ कर हिसाब किताब लगाकर होता है। पढ़े लिखे लोग हैं नासमझी वाला इश्क़ नहीं करते कभी। रही बात आज जो कहा बाद में उस पर कायम रहने की तो उसका उपाय कोई नहीं है मुकरने वाले लिख कर भी मुकर सकते हैं। मामला अदालत में पहुंच गया है मुमकिन है अदालत कोई नया ढंग प्यार करने का भी समझा दे या कोई कानून बनवा सकती है आशिकों का पंजीकरण ज़रूरी हो जाये।

        एक्सपायरी की तारीख दवाओं की तरह रिश्तों की भी होती है , तमाम उम्र कहां कोई साथ देता है , मैं जनता हूं मगर थोड़ी दूर साथ चलो। बीच राह में साथ छोड़ना ही नहीं कहते कभी रास्ते भी बदलते रहते हैं जिस को जिधर जाना हो जाने दो आप जिधर जाना चाहते हो चले जाओ। मगर जितना साथ निभाया उस का आभार समझना चाहिए , किसी को बेवफ़ा कहना मुझे अच्छा नहीं लगता , निभाई थी कभी उसने भी उल्फत याद रखते हैं। दिलबर की रुसवाई नहीं होने देनी चाहिए वर्ना आपकी अपनी वफ़ा भी झूठी साबित हो जाएगी। चलो किसी ने मीटू का आरोप लगाया तो चिंता की क्या बात है आपको साथ लेकर डूबने की ही बात है। हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी साथ लेकर डूबेंगे नाकाम आशिक़ी का अंजाम है। पर मानहानि का दावा करना उचित नहीं है , आशिक़ों को भला कब से मान सम्मान की फ़िक्र होने लगी। आशिक़ी करनी है तो दिल से करो और दिल धक धक धड़कता है मुहब्बत में डर से नहीं , डर दिमाग़ की उपज है। इक उपाय किया जा सकता है , जिन जिन जगहों पर आशिक़ मिलते हैं सब जानते ही हैं उन सभी जगहों पर बड़े बड़े बोर्ड विज्ञापन की तरह लिखवा कर टंगवाये जाने लाज़मी हैं जिन पर चेतावनी लिखी हुई हो। सड़कों पर खतरनाक मोड़ की बात की तरह वाले। फिर जब कोई अदालत पुलिस थाने जाएगा तो पहला सवाल यही किया जाएगा , आप की दो आंखें हैं अंधे तो नहीं हैं फिर चेतावनी को पढ़कर अनदेखा क्यों किया। दिल दिया दर्द लिया तो दिल एक मंदिर है अब दिल है कि मानता नहीं फिर दिल का क्या कसूर। दिल ने फिर याद किया है अब दिल दे के देखो। दिल हाय दिल जब दिल की बात है तो दिल के डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए। आशिक़ी करने से पहले दिल की जांच करवाई होती तो दिल टूटता नहीं। मुश्किल और है कि डॉक्टर दिल का ईलाज भले करते हैं उनके पास दिल होता नहीं है। बड़े बेदिल होते हैं दिल के डॉक्टर तभी दिल को चीरते हैं दिल पर छुरी चलाते हाथ नहीं कांपते उनके। मेरा दिल आपके पास है संभाल कर रखना कहने वाले बिना दिल जीते कैसे हैं। या दिल की सुनो दुनिया वालो या मुझको अभी चुप रहने दो। बात दिल की थी दिल में रखते जुबां पर लेकर क्यों कयामत ढाने की बात करते हैं। सरकार को कोई भी ढंग नहीं मिला तो मुहब्बत करने पर रोक लगाई जा सकती है। प्यार करना समाज को अपराध लगता है अगर कानून भी इसे गुनाह मान लेगा तो कैसे प्यार करोगे। लोग गुज़र बसर कर भी लेंगे मगर लिखने वाले कहानी कविता ग़ज़ल कहने वाले और उनपर फिल्म टीवी सीरियल बनाने वाले सभी बर्बाद हो जाएंगे। ज़रा सी बात पर जाने कितने तूफ़ान खड़े हो सकते हैं।
 

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