जून 21, 2017

POST : 672 योग पर रोक लगाओ ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

       योग पर रोक  लगाओ ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

     हर कोई परेशान है , सरकारी अधिकारी रिश्वत भी चैन से नहीं ले सकते ताकि सरकार की बदनामी नहीं हो। इस सरकार की चिंता ही यही है कि किसी को ये नहीं पता चले कि आम आदमी को आज भी घूस देनी पड़ती है हर काम कराने को। अब तो इतना तक भी है कि गरीब होने की सूचना अपने घर की दीवार पर लिखवानी होगी ताकि सरकारी आंकड़े बढ़ सकें। सरकार की शान है कि वो आपको सहायता देती है आपसे ही लिए कर द्वारा जमा किये धन से। आप अपने अधिकार लेते हैं भीख की तरह , सरकार अपना फ़र्ज़ भी निभाती है उपकार एहसान की तरह ताकि बाद में उसी की बात कहकर वोट मांग सके। गरीबों की परेशानी तो उनका मुक़द्द्र है , अमीरों को परेशानी हो तो सरकार मुश्किल में पड़ जाती है। 
 
         आज योग दिवस है , विश्व स्वास्थ्य संघठन के नए आंकड़े आये हैं जो साबित करते हैं कि योग की शुरुआत करने से भारत में रोगी कम होते जा रहे हैं। आपको यकीन नहीं होगा मगर मैं खुद डॉक्टर हूं और मुझे हमेशा यही लगता रहा है मेरे पास मरीज़ बहुत कम आते हैं। ये दूसरी बात है कि मैंने इसका कभी प्रबंध नहीं किया कि मेरा धंधा चमके। कोई कमीशन नहीं दी किसी गांव वाले डॉक्टर को कि वो मरीज़ भेजता , उल्टा कोई आया ऐसा बात करने तो भगा दिया डांट कर , केमिस्ट और लैब से हिस्सा लिया नहीं , उनकी खातिर जांच को भेजा नहीं रोगियों को , ऐसे में मेरा धंधा मंदा रहना ही था। और मैंने कभी भगवान से भी ऐसी दुआ नहीं मांगी कि लोग स्वास्थ्य नहीं हों ताकि मेरी कमाई हो। सब की भलाई चाहोगे तो अपनी भलाई कैसे होगी। घोड़े और घास की बात है , खरबूजे और छुरी की बात की तरह। चलो कोई बात नहीं बिना दौलत भी मैं खुश हूं चैन से रहता भले आयकर का दफ्तर मेरे से दो प्लाट छोड़ पास ही है। दो तीन बार आये थे कभी हिसाब देखने मगर निराश हुए , एक बार तीस रूपये भरने पड़े उनकी लाज रखने को वो भी सी ए ने कहा मान भी लो इतना बनता है। 
 
    अभी डॉक्टर्स का संगठन सरकार के नए बनते कानून को नहीं बनने की आस लगाए था , कि ये डब्लू एच ओ के आंकड़े भी डराने लगे। उनको यकीन है पिछले सालों में उनकी आमदनी घटी है तो उसका कारण बाबा जी का योग बेच कर मालामाल होना है। सालों साल खटते रहकर भी उनकी संम्पति कुछ सौ करोड़ की हुई और बाबा जी इतनी जल्दी हज़ारों करोड़ के मालिक बन गए। अब समझ आया समझदारी क्या होती है पढ़ लिख कर लोग चाकरी करते हैं और अनपढ़ नेता या उद्योगपति बनकर पढ़े लिखों को चाकरी को रखते हैं। पहले समझ आता तो अपने बच्चों को लाखों की कैपिटेशन फीस भर मेडिकल कॉलेज भेजने की जगह भगवा वस्त्रधारी बाबा बनाते। आप बेकार झूठी खबरें पढ़ते रहते हो सरकारी और निजि हॉस्पिटल की कि वहां डॉक्टर कम हैं रोगी अधिक हैं , डब्लू एच ओ की रपट बताती है कि रोगी हैं ही नहीं।  भारत को कब का केवल पोलियो रोग मुक्त नहीं सब रोगों से निजात मिल गई है योग द्वारा। कलाम जी किताब लिख गए थे दो हज़ार बीस का भारत कैसा होगा , वो भी सच होने ही वाला है। इधर कोई दो हज़ार उन्नीस तक किसी समस्या का अंत करने और दो दो हज़ार बाईस तक भारत को इण्डिया बनाने की घोषणा कर रहा है। बड़े लोगों की कही बात सच साबित नहीं भी हो तब भी कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हम जैसे लिखने वालों की किताब कोई बिना पैसे लिए नहीं छापता और अटल बिहारी जी की किताब को विश्वविद्यालय का कुलपति सब कॉलेजेस को खरीदने की सलाह देता है , कीमत भी केवल हज़ार रूपये थी। कलाम जी की किताब की भी रॉयल्टी किसी को मिलती रहेगी उनके पचास साल बाद तक , ऐसा नियम जो है।

        मगर आज सब से बड़ी समस्या खड़ी हो गई है , रोग नहीं रहे तो केवल हॉस्पिटल और डॉक्टर्स ही नहीं कितने लोग इसी से जुड़े हैं सब के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। दवा बेचने वाले ही नहीं बनाने वाले भी बर्बाद हो जायेंगे। इतनी महंगी महंगी मशीनें किस काम आएंगी जब एम आर आई , सी टी स्कैन , अल्ट्रासाउंड की ज़रूरत नहीं होगी। करोड़ों की कमाई खत्म होगी सो होगी , खुद बाबा जी की भी दवाएं बिकनी बंद हो जाएंगी। आपको दवाएं बेचनी हैं तो रोगी चाहियें , स्वस्थ लोग क्यों दवा  लिया करेंगे। एक तो पहले ही स्वच्छता अभियान और खुले में शौच बंद होने से लोग बीमार नहीं होते और सब डॉक्टर भूखे मर रहे हैं ऊपर से योग से सब को निरोग किया तो क्या हाल होगा। आम नागरिक की चिंता छोड़ भी दो तब भी नेताओं को हमेशा हॉस्पिटल में दाखिल होने की ज़रूरत रहती है जेल से बचने को। जब डॉक्टर नहीं , हॉस्पिटल नहीं तब आप में आधे से अधिक जेल में होंगे। और जब लोग स्वस्थ होंगे तब उनमें आत्मविश्वास भी भरपूर होगा और वो आप नेताओं को हर  इक गलत बात पर मज़ा चखाया करेंगे। योग करने के खतरे , ऐसी इक किताब भी बाज़ार में आने वाली है जिस सेल योग सिखाने वाली सब किताबों से बढ़कर  होगी। योग विद्या हो सकती है , मगर जब किसी दवा के दुष्परिणाम देख उन पर परिबंध लगा सकते हैं तो योग को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।

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