जून 17, 2017

वाह रे भगवान तेरी लीला ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

     वाह रे भगवान तेरी लीला ( व्यंग्य )  डॉ लोक सेतिया

             आप नहीं मानोगे जनता हूं , मैं सच बोलता हूं ऐसा कोई सरकारी या गैर सरकारी संस्था से मिला कोई दस्तावेज़ भी नहीं पास मेरे। और ज़माना ऐसा बनता जा रहा है कि जल्दी ही बेटा कहेगा पिता जी आपने अभी तक मुझे अपने आधार कार्ड से जोड़ा नहीं है , मुझे भी आपका बेटा कहलाना बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं लगता , मैं इक बड़े ओहदे वाला अधिकारी खुद को बड़ा बाबू की नौकरी करने वाले पिता की संतान कहला भला गर्व अनुभव कर सकता हूं। आपको गर्व है मेरा बेटा अफ़्सर बन गया है , आपको गलतफहमी भी है कि मुझे आपने बनाया है पढ़ा लिखा कर। मगर आपको पता नहीं है पिता जी सरकार ने अब हर काम को इक आधार कार्ड से जोड़ना शुरू कर दिया है , कल आप जब नहीं रहोगे तब आपका वारिस आपकी वसीयत लिखी होने के बावजूद वही बनेगा जो आपके आधार कार्ड पर दर्ज किया होगा आपका बेटा बेटी है। मेरी परेशानी है कि मैं अपने बेटे को तो अपने आधार कार्ड से जोड़ सकता हूं मगर आपको पिता के स्थान पर मैं नहीं जोड़ सकता , वो आप ही कर सकते हो। मुझे केवल आपके जोड़ने के बाद ही पूछे जाने पर स्वीकार करना होगा कि आप ही मेरे जन्मदाता हैं। लेकिन फिर भी मैं आपको सच सच बता रहा हूं कि मैं रोज़ मिलता हूं किसी जगह जाकर भगवान से , अभी अभी मिलकर आया हूं और आज बहुत राज़ की बातें आपको बताता हूं। आपको हैरानी हो सकती है मगर आपको बहुत कुछ सीख भी मिल सकती है मेरी कहानी से।
 
              आज भगवान कुछ अच्छे मूड़ में थे , लगा उनकी फेसबुक पर बहुत अच्छे कमैंट्स लिखे मिले हैं उनको , लाइक्स भी अनगिनत। मैंने कहा भगवान जी कब से आप मुझे अपनी राज़ की बात बाद में पता चलने का ज़िक्र करते आये हो अब आज तो बता भी दो। आज यही मांगता हूं , बेचारे भगवान फंस गए , हर दिन सीस झुकाता और पूछते क्या चाहिए और मैं रोज़ वही मांगता मुझे हमेशा सही राह पर चलने की समझ देना , मैं बहुत पापी हूं जाने किस किस को बुरा भला कहता हूं। मुझे झूठ से बचाना और सच बोलने का साहस देते रहना ताकि निडरता पूर्वक निस्वर्थ सच बोल कर इक अच्छा काम करता रहूं।  आज मैंने अपनी मांग भगवान को पता चलने से पहले ही बदल दी तो भगवान को विवश होकर मुझे अपना राज़दार बनाना पढ़ा। मगर इक वादा भी लिया कि उसका ये राज़ अपनी जुबां पर नहीं लाना , और मैं अपना वादा तोड़ भी नहीं रहा हूं क्योंकि मैं मुंह से कुछ बोलकर किसी को नहीं बता रहा , लिख रहा हूं और आप भी पढ़ बेशक लेना इस राज़ को अपने भीतर राज़ की तरह रखना बोलना मत। बोलोगे तब भी लोग सच पर यकीन नहीं करते आजकल झूठ पर विश्वास करते हैं सभी। नेता अधिकारी सरकार तभी झूठ पर झूठ बोलते हैं , सच नहीं बताते कभी किसी को कि जनता की सेवा नहीं जनता को अपना गुलाम समझते हैं। 
 
           भगवान कहने लगे , वत्स मेरे पास जो भी आता है मैं उसको दे देता जिस की वो कामना करता है। लोग आकर मांगते हैं स्वर्ग जैसे सुख सुख सुविधाएं यहीं जीते जी धरती पर और मेरे मुंह से तथास्तु शब्द निकल जाता है। मगर जब उनको धन दौलत सुख सुविधा नाम शोहरत या कोई पद या सत्तासुख मिलता है तब वो पाप अधर्म करने लगते हैं लोभ लालच करने लगते हैं अपने कर्तव्य को भुला अनाचार करने लगते हैं। जब उनको कोई अड़चन पेश आती है तब फिर मेरे पास आकर क्षमा की भीख मांग मुझ से दया करने की विनती करते हैं और फिर से वही स्वर्ग का सुख सुविधा पाकर फिर उसी गलती को दोहराने लगते हैं। अब इस को ठीक करना मेरे बस की बात नहीं है , उनको झूठ की लत है मगर मुझे भगवान होने का कर्म निभाना है। अब तुम जैसे कुछ लोग जो मेरे दर पर आकर सुख सुविधा और स्वर्ग की कामना नहीं करते और मांगते है सद्मार्ग पर चलते रहने की दुआ उनको वही मिलता है तभी उनको सच की कठिन राह पर मुश्किलें ही मिलती हैं उनको जीते जी स्वर्ग मिल ही नहीं सकता। ये राज़ की बात आप भी समझ लो और सोच लो भगवान से जाकर क्या मांगना है। मगर चुपके से बिना किसी को अपना राज़ खोले।
         

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