अक्टूबर 05, 2012

POST : 157 क्या ज़माने ने की ख़ता मौला ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

क्या ज़माने ने की ख़ता मौला ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

क्या ज़माने ने की खता मौला
मिल रही सब को क्यों सज़ा मौला ।

क्या हुआ खुशिओं से भरा दामन
सब की झोली में कुछ गिरा मौला ।

हाल दुनिया का हो गया कैसा
खुद कभी आ कर देखता मौला ।

दर्द इतने सबको दिए कैसे
दर्द मिटने की दे दवा मौला ।

लोग जीने से आ चुके आजिज़
कौन जाने है क्या हुआ मौला ।

किसलिये  दुनिया को बनाया था
बैठ कर इक दिन सोचता मौला ।

ख़त्म हो जाएं नफरतें सारी
कह रहा "तनहा" कर दिखा मौला ।
 

 

कोई टिप्पणी नहीं: