मार्च 18, 2019

POST : 1029 चोर-पुलिस खेल और चौकीदार ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

  चोर-पुलिस खेल और चौकीदार ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

  सब का काम बड़े आराम से चल रहा था हर कोई मस्त था। पुलिस-चोर भाईचारा कायम था चौकीदार से कोई मतलब नहीं था। चौकीदार जागते रहो की आवाज़ लगाता लोग चैन की नींद सोते रहते। चोर पुलिस सहयोग से सात घर छोड़ चोरी करने के नियम का पालन करते और आपसी मिल बांट ईमानदारी से होती रहती थी। जब पुलिस को ज़रूरत होती चोर खुद थाने आकर चोरी कबूल करते और बड़े लोगों की चोरी की भैंस गाय क्या तोता तक बरामद हो जाता था। चौकीदार को महीने महीने वेतन मिलता था और डंडा बजाने को मिल जाता था ताकि गली के कुत्ते चौकीदार को काटने की हिम्मत नहीं कर सकें। पुलिस चोर दोनों को चौकीदारी से कोई परेशानी नहीं थी। समस्या उस दिन खड़ी हुई जब चौकीदार चोर पुलिस दोनों को नाकारा बता कर खुद चोर पकड़ने और चोरी नहीं होने देने की बात का शोर मचाने लगा। सदियों से हर कोई अपना धंधा चलाता रहा है चोरी का धंधा बंद होने से पुलिस का काम भी बंद होने की नौबत आने का अंदेशा था। ऐसे में चौकीदार का महत्व बढ़ गया था और चोर पुलिस दोनों उसकी शर्त मानने को राज़ी हो गए थे।

    चौकीदार का संविधान लागू होते ही चोर और पुलिस बेबस होते गए। चौकीदार शान से गुलछर्रे उड़ाने लगा और झूठ को सच बनाने लगा। कौन साहूकार है कौन खज़ाने का चौकीदार कोई समझ नहीं पा रहा था। खज़ाना चौकीदार की सुरक्षा में है चौकीदार बताकर बहला रहा था। चौकीदारी के नाम पर अपनी चला रहा था मैं हूं चौकीदार बाकी सभी हैं चोर का शोर मचा रहा था। चौकीदार सोते रहना देश वालो क्या आलाप लगा रहा था। उधर खज़ाना खाली होता जा रहा था चौकीदार दोस्ती निभा रहा था मामला सुलझने की जगह उलझता जा रहा था। चोरी के थान बांसों के गज से नापने का जुमला दोहराया जा रहा था। घर दुकान की अलमारी नहीं बैंक का खज़ाना लुटता जा रहा था लूटने वाले को कोई रास्ता बता रहा था। बैंकों पर बोझ बढ़ता जा रहा था अर्थव्यवस्था का कचूमर निकला जा रहा था। चौकीदार विदेश की सैर पर आ जा रहा था किस को कौन कैसे कहां भगा रहा था। चौकीदार वापस पकड़ लाने का ऐलान फरमा रहा था भगोड़ा आराम से विदेश में परचम फहरा रहा था।

        चोरी होना जारी रहा बस चोरी की घटना सार्वजनिक करना रोक दिया गया। अख़बार टीवी वालों को खबर की जगह बेखबर रहने की कीमत मिलने लगी थी। चोरी की बात पर चर्चा करना अपराध बताया जाने लगा , पुलिस पर आरोप लगते थे कोई चिंता नहीं थी चोरों के नाम सामने आते तब भी कोई घबराहट नहीं थी मगर चौकीदार की चौकीदारी पर सवाल करना गंभीर बात समझी गई। चोर पकड़े जाते तो इलाका बदल दिया जाता पुलिस वालों को किसी और थाने तबादला करना भी आम बात थी लेकिन चौकीदार को बदलने की बात की तो हंगामा खड़ा हो गया। चौकीदार का रुतबा इतना बढ़ गया था कि उसके नाम के पर्चे छप कर हर दीवार पे चिपका दिये और आजकल किसी घर की दीवार में कोई दरार नहीं नज़र आती है सब छेद ढक दिये गये हैं इश्तिहारों से। अचानक चौकीदार रखवाने वाले के निर्देश पर चौकीदार के फोटो छपे पर्चे इश्तिहार हटवा दिए गए हैं तो लगता है बिना चौकीदार अमन चैन कायम हो रहा है। चौकीदार को अभी जागते रहो की पुकार बंद करने को निर्देश दिया हुआ है। पुलिस चोर भाईचारा फिर से पहले की तरह सामान्य होने लगा है। कोई कहने लगा है अब भी उसी चौकीदार को रख लिया तो फिर चौकीदार को कभी हटाया नहीं जा सकेगा और चोर पुलिस चौकीदार सबकी पहचान करना असंभव हो जाएगा। सब हैरान रह गये जब अदालत को जानकारी दी गई कि चौकीदार के पास से सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज़ चोरी हो गये हैं और किसी ने चोरी हुए दस्तवेज़ के आधार पर आरोप लगाया है मगर अदालत को उस को अनदेखा करना चाहिए। चोर कौन है जिसने देश के सबसे कड़ी सुरक्षा वाली जगह से इतने महत्वपूर्ण कागज़ चुरा लिए और जाने किस किस तक पहुंच गये। अभी भी चोर की नहीं चौकीदार की पैरवी की जा रही है। चोर-सिपाही का खेल जारी है और चोर-पुलिस मिलकर होली का त्यौहार मनाने वाले हैं शायद चौकीदार भी आने वाले हैं। चुनाव आने वाले हैं। 

   बच्चे भी चोर पुलिस वाला खेल नहीं खेलना चाहते माता पिता को शिक्षक मना कर गये हैं। हर कोई मैं भी चौकीदार खेलना चाहता है इक अनार सौ बीमार की बात है। चौकीदार का मुखौटा लगा लोग धोखा खाने लगे हैं असली चोर खिलखिलाने लगे हैं। चौकीदार एसोसिएशन अब जागी है अपने नाम का दुरूपयोग नहीं होने देगी ये कहानी आधी है। जनता की अदालत निर्णय सुनाएगी चोर को चोर पुलिस को पुलिस बनाकर फिर चौकीदारी की बात पे गौर फ़रमाएगी। 

कोई टिप्पणी नहीं: