दिखाने को पर्दा करते हैं ( कव्वाली ) डॉ लोक सेतिया
हुस्न वाले जलवा अपना ,
दिखाने को पर्दा करते हैं
समझना मत वो चेहरा
छुपाने को पर्दा करते हैं ।
बस देख इक झलक कोई
हो जाये आशिक़ दीवाना
नज़रों से नज़र चुपके से
मिलाने को पर्दा करते हैं ।
बनते हैं बेखबर तोड़कर
दिल आशिकों का कितने
बेवफ़ा अपनी बेवफ़ाई
छिपाने को पर्दा करते हैं ।
दिल ही दिल खुश होते
हुस्न की तारीफ सुनकर
बुरा मानते शर्म हया को
दिखाने को पर्दा करते है ।
जब बेपर्दा बाहर आये तो
देखा न किसी ने उस दिन
पर्दानशीं क्या बात उनकी
समझाने को पर्दा करते हैं ।
शोलों को और भड़काने
आता है मज़ा सताने में
दिलजलों की दिल्लगी
बढ़ाने को पर्दा करते हैं ।
कौन कहता है हुस्न को
छुपाने को पर्दा करते हैं
चिलमन खुद उठाकर के
गिराने को पर्दा करते हैं ।
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