मंदिर में नये देवताओं का आगमन ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
आप सभी जानते ही हैं झूठ के देवता का पहला मंदिर फतेहाबाद में बनाया गया था। ये भी सभी समझते हैं कि इस कारोबार में भी कंपीटीशन बहुत है और भक्तों को चाहने वालों को आकर्षित करने को नया कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है। जिस तरह अन्य जगहों पर किसी भी एक देवता के नाम के बनाये हुए मंदिर में कुछ और भी देवी देवता स्थापित किये गये होते हैं बस उसी तर्ज़ पर झूठ के देवता के घर भी आधुनिक युग को देखते हुए फेसबुक व्हाट्सएप्प जैसे लोगों के दिल बहलाने से लेकर ज्ञान पाने तक का काम आने वाले गुरुओं का आगमन किया गया है। पहले लोग खासकर महिलाएं और बड़े बज़ुर्ग कथा कीर्तन में शामिल होने जाते थे लेकिन आजकल दिन रात भजन कीर्तन की जगह सोशल मीडिया पर खोये रहते हैं। झूठ के देवता का इस से अच्छा और शानदार स्थान कहीं और नहीं है। आपको नये नये शहर पार्क पहाड़ आदि देखने का शौक है तो इस से अलग आधुनिक युग में कोई और कहीं नहीं मिल सकता है। बस जल्दी से आने और दर्शन कर मनोकामना पूर्ण होने का भरोसा रख इस के सबसे पहले अनुभव हासिल करने वालों में शामिल हों। आपका स्वागत है।
नीचे झूठ के देवता को लेकर दो लिंक हैं समझने को , अब आगे इस की विशेषता पर थोड़ा जानकारी। सोशल मीडिया किसी पहाड़ पर चढ़ने के बाद इक सुरंग की तरह है। अपनी कई जगह ऐसी सुरंग देखी होंगी जो भीतर जाने के बाद आगे बाहर को खुलती हैं अंधियारा छट जाता है और दूसरी तरफ उजाला नज़र आता है लेकिन इन आधुनिक गुरुओं की नाम की सुरंग में आपको रौशनी की जगमग दिखाई देगी और आपको उस से बाहर निकलने का कोई मार्ग नहीं समझ आएगा। आप वास्तविक दुनिया को भूल कर कल्पना की इस दुनिया में खो जाओगे। इसका तिलिस्म आपको अपने आगोश में ले लेगा और आपको लगेगा इस से बढ़कर चैन सुकून किसी जगह नहीं मिलेगा। जन्नत स्वर्ग से बढ़कर खूबसूरत लगेगी आपको इसकी तंग गली जिस में आपको अकेले रहने का आनंद आएगा। भीड़ बहुत होगी मगर आप के और भीड़ के बीच में इक पारदर्शी शीशे की दिवार होगी , कोई हवा कोई आवाज़ आपको परेशान नहीं करेगी।
आपको उड़ना है तो आपको चिड़िया की तरह के गुरूजी के दर से जाने होगा और आपको खुला आकाश मिलेगा। चिड़िया को चहचहाना है शब्द की सीमा है जिधर मर्ज़ी उड़न भर सकते हैं कोई आपको रोकता टोकता नहीं है। कितनी चिड़िया हैं बेहिसाब हैं उनके पीछे पीछा करने को असंख्य हैं। कभी इस डाल कभी उस डाल कोई ठिकाना नहीं है हर चिड़िया आज़ाद है चिड़ा कोई नहीं राज करने को। इस गुरु जी के साथ आपको व्हाट्सएप्प नाम के महागुरु भी नज़र आएंगे उनके पास सभी कुछ है। शब्द हैं तस्वीर हैं आवाज़ है देखने को चलती फिरती तस्वीर भी हैं। मगर इसका नशा चढ़ने के बाद आपको होश खोने का खतरा है सुध बुध खो बैठते हैं दिन रात का पता नहीं चलता है। भूख प्यास याद नहीं रहती है। इक और मुड़ती हुई सी शीशे की नली भी नज़र आएगी जो गुरु से बढ़कर आपको खुद गुरु बनाने का साधन भी हो सकती है। समझ आने के बाद आप खुद अपने नाम से यू ट्यूब चैनल शुरू करते हैं और उसके बाद कोई पागलखाना आपका ईलाज नहीं कर सकता है। पागलपन चरम सीमा होती है इबादत की हर तरह वही नज़र आता है। आपको ध्यान नहीं रहा कि इस आधुनिक मंदिर के देवता गुरुओं से आपको मिलेगा क्या ये सवाल पूछना था , खुद ही बता देता हूं अपनी ज़िंदगी अपनी दुनिया के दुःख दर्द परेशानियों से मुक्ति मिलना। बस सब मिल गया ये एहसास होता है कुछ बाकी नहीं बचता पाने को इसके बाद विरक्त होने की बारी है। एक बार आओगे तो कभी वापस नहीं जाओगे यहीं के बनकर रह जाओगे। अतिथि कब आओगे।
नीचे झूठ के देवता को लेकर दो लिंक हैं समझने को , अब आगे इस की विशेषता पर थोड़ा जानकारी। सोशल मीडिया किसी पहाड़ पर चढ़ने के बाद इक सुरंग की तरह है। अपनी कई जगह ऐसी सुरंग देखी होंगी जो भीतर जाने के बाद आगे बाहर को खुलती हैं अंधियारा छट जाता है और दूसरी तरफ उजाला नज़र आता है लेकिन इन आधुनिक गुरुओं की नाम की सुरंग में आपको रौशनी की जगमग दिखाई देगी और आपको उस से बाहर निकलने का कोई मार्ग नहीं समझ आएगा। आप वास्तविक दुनिया को भूल कर कल्पना की इस दुनिया में खो जाओगे। इसका तिलिस्म आपको अपने आगोश में ले लेगा और आपको लगेगा इस से बढ़कर चैन सुकून किसी जगह नहीं मिलेगा। जन्नत स्वर्ग से बढ़कर खूबसूरत लगेगी आपको इसकी तंग गली जिस में आपको अकेले रहने का आनंद आएगा। भीड़ बहुत होगी मगर आप के और भीड़ के बीच में इक पारदर्शी शीशे की दिवार होगी , कोई हवा कोई आवाज़ आपको परेशान नहीं करेगी।
आपको उड़ना है तो आपको चिड़िया की तरह के गुरूजी के दर से जाने होगा और आपको खुला आकाश मिलेगा। चिड़िया को चहचहाना है शब्द की सीमा है जिधर मर्ज़ी उड़न भर सकते हैं कोई आपको रोकता टोकता नहीं है। कितनी चिड़िया हैं बेहिसाब हैं उनके पीछे पीछा करने को असंख्य हैं। कभी इस डाल कभी उस डाल कोई ठिकाना नहीं है हर चिड़िया आज़ाद है चिड़ा कोई नहीं राज करने को। इस गुरु जी के साथ आपको व्हाट्सएप्प नाम के महागुरु भी नज़र आएंगे उनके पास सभी कुछ है। शब्द हैं तस्वीर हैं आवाज़ है देखने को चलती फिरती तस्वीर भी हैं। मगर इसका नशा चढ़ने के बाद आपको होश खोने का खतरा है सुध बुध खो बैठते हैं दिन रात का पता नहीं चलता है। भूख प्यास याद नहीं रहती है। इक और मुड़ती हुई सी शीशे की नली भी नज़र आएगी जो गुरु से बढ़कर आपको खुद गुरु बनाने का साधन भी हो सकती है। समझ आने के बाद आप खुद अपने नाम से यू ट्यूब चैनल शुरू करते हैं और उसके बाद कोई पागलखाना आपका ईलाज नहीं कर सकता है। पागलपन चरम सीमा होती है इबादत की हर तरह वही नज़र आता है। आपको ध्यान नहीं रहा कि इस आधुनिक मंदिर के देवता गुरुओं से आपको मिलेगा क्या ये सवाल पूछना था , खुद ही बता देता हूं अपनी ज़िंदगी अपनी दुनिया के दुःख दर्द परेशानियों से मुक्ति मिलना। बस सब मिल गया ये एहसास होता है कुछ बाकी नहीं बचता पाने को इसके बाद विरक्त होने की बारी है। एक बार आओगे तो कभी वापस नहीं जाओगे यहीं के बनकर रह जाओगे। अतिथि कब आओगे।
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