हर बात कहना नहीं आसां ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
हर बात कहना नहीं आसां ,
पर चुप भी रहना नहीं आसां ।
गर हाथ तुमने नहीं पकड़ा ,
विपरीत बहना नहीं आसां ।
करनी पड़ेगी बगावत अब ,
जब ज़ुल्म सहना नहीं आसां ।
जो नफरतों ने खड़ी कर दी ,
दीवार ढहना नहीं आसां ।
मेहनत कड़ी रात दिन करते
पर क़र्ज़ लहना नहीं आसां ।
तन ढक लिया बस यही काफी
क्यों कर है पहना , नहीं आसां ।
' तनहा' शराफ़त जिसे कहते
मुफ़लिस का गहना नहीं आसां ।
शब्द के अर्थ :
लहना = काम के बदले मिला धन , उधर दिया धन ।
शहना = खेती की चौकसी करने वाला , खेतिहारों से राजकर उगाहनेवाला अधिकारी ।
1 टिप्पणी:
बहुत खूब सर👌
एक टिप्पणी भेजें