जून 29, 2018

हर बात कहना नहीं आसां ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

     हर बात कहना नहीं आसां ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया                      

हर बात कहना नहीं आसां ,
पर चुप भी रहना नहीं आसां । 

गर हाथ तुमने नहीं पकड़ा  ,
विपरीत बहना नहीं आसां । 

करनी पड़ेगी बगावत अब  ,
जब ज़ुल्म सहना नहीं आसां । 

जो नफरतों ने खड़ी कर दी ,
दीवार ढहना नहीं आसां । 
 
मेहनत कड़ी रात दिन करते 
पर क़र्ज़ लहना नहीं आसां । 
 
तन ढक लिया बस यही काफी 
क्यों कर है  पहना , नहीं आसां । 
 
' तनहा' शराफ़त जिसे कहते 
 मुफ़लिस का गहना नहीं आसां ।  

शब्द के अर्थ :
 
लहना = काम के बदले मिला धन , उधर दिया धन । 

शहना = खेती की चौकसी करने वाला   , खेतिहारों से  राजकर उगाहनेवाला अधिकारी ।







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