जून 21, 2018

POST : 806 फेसबुक प्यार से नफरत तक ( हास्य - कविता ) डॉ लोक सेतिया

  फेसबुक प्यार से नफरत तक ( हास्य - कविता ) डॉ लोक सेतिया 

लिखी थी उन दो आशिक़ों की 
प्यार की जो कहानी भी मैंने ही 
जीने मरने की साथ खाई कसम  
घोषित कर लिखकर के अपनी 
दोनों ने ही फेसबुक की वाल पर । 

तीन चार साल पहले का युग था 
सोशल मीडिया पर जान पहचान 
बन जाती थी कभी हादिसा भी 
कभी किसी को लगता था ऐसा 
सपनों की यही दुनिया है असली । 

घर से भाग कर शादी भी कर ली 
कुछ दिन तक था प्यार ही प्यार 
फिर न जाने क्या किया किसने 
बात बात पे होने लगी थी तकरार 
प्यार में कोई और नहीं था बीच में 
राजनीति ने किया कैसा अत्याचार । 

तुम चाहती किसी और नेता को हो 
मेरी नेता मेरी वही जाति की अपनी 
उनका टूटा गठबंधन सब जानते हैं 
भाई बहन से जानी दुश्मन बन गए 
आमने सामने खड़े  हैं पति पत्नी 
बिछड़े तलाक बिना लिए बिना दिए । 

मुझसे बोली नायिका मेरी कहानी की 
तुम मिटा दो लिखी हुई हमारी कथा 
डिलीट कर दिया हमने सारा डाटा 
आपको किसलिए हुई है सुन व्यथा 
और लिख सकता मिटा सकता नहीं 
मेरी फेसबुकी दोस्त करूं क्या बता । 

मेरी इक गुज़ारिश सभी दल वालों से 
आशिक़ी में न अपना दखल रखना 
ताज को राजनीति का मोहरा बनाकर 
इस तरह शाहजहां मुमताज को अब 
बदलकर इतिहास अलग कर नहीं देना 
तुम आज हो जाने कल हो चाहे न हो । 

मुहब्बतों की कहानियां सभी हैरान हैं 
लिखने वाले सभी हम भी परेशान हैं 
हीर रांझा को रहने दो जो भी हैं थे 
लैला मजनू की दास्तां बदलना नहीं 
धर्म जाति में बांटों जनता को मगर 
आशिकों को मरने बाद मरना नहीं । 
 

 

3 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

फेसबुकिया प्यार के चार दिन की चांदनी
अपने स्वार्थ के लिए सारे हथकंडे अपनाना आम है आज के समय में
बहुत खूब!

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अफीम सा नशा बन रहा है सोशल मीडिया “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

विरम सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर कविता .