सूचना और जनसम्पर्क विभाग भगवान का ( तीर ए नज़र )
डॉ लोक सेतिया
ऊपर वाला कब से हैरान और परेशान था , जिस तरह से सरकारी नौकरी मिलते ही इंसान काम नहीं करना चाहता केवल वेतन पाना चाहता है और बढ़ाना बढ़वाना उसका उदेश्य बन जाता है उसी तरह भगवान ने जिनको अपना प्रतिनिधि बना कर भेजा था वो सब भी अपने पदों का दुरूपयोग करने लगे हैं और मार्ग से भटक गए हैं। इक ऐसी ही आत्मा से साक्षात्कार हुआ भगवान का। भगवान ने कहा मैंने तुम्हें अच्छे माता पिता के घर जन्म देकर अच्छी शिक्षा के बाद अच्छे सरकारी ओहदे पर बिठाया था। तुम और तुम्हारे सभी साथी अफ्सर और राजनेता अगर अपना फ़र्ज़ निभाते तो मेरे प्यारे भारत देश की दशा कभी ऐसी बुरी नहीं हो जाती। तुमने कभी सोचा कितना बड़ा अपराध करते रहे हो , जैसे कोई डॉक्टर वैद हकीम अपने पास रोग की दवा होने पर भी रोगी का उपचार नहीं करे और लापरवाही से मरीज़ों की जान लेने का पाप करता रहे। तुम सभी कहते रहे जनता से हमें बताओ कोई परेशानी हो अगर लेकिन जब भी किसी ने बताया क्या क्या गलत है तब तुम लोग अपनी गल्ती और नाकामी ही नहीं अपनी नाकाबिलियत को छुपाने को उन्हीं को परेशान करते रहे। अपने कार्यकाल में हर दिन तुमने पाप और अपराध ही किये हैं। तुम लोग सब जानकर भी अनजान बने रहे किसलिए। उस आत्मा ने बताया क्योंकि आपके भेजे साधु संत सन्यासी और उपदेशक हमें यही पाठ पढ़ाते रहे कि उन्हें दान देकर और किसी तरह से पूजा अर्चना आदि कर हम सभी अपकर्मों के फल पाने से बच जाएंगे। यही सिस्टम बना हुआ है हर कोई दस बीस प्रतिशत लेकर गलत को सही साबित कर देता है। मुझे नहीं पता आपकी अदालत में गुनाहों की माफ़ी कौन कैसे दिलवा सकता है मगर मैं तलाश कर ही लूंगा जो भी कोई हो। भगवान बोले जीते जी नहीं समझे तो मरने के बाद तो ये मूर्खता की बात नहीं करो।
भगवान ने कहा तुम्हें अपने अपराधों की सज़ा भुगतनी ही होगी और अपने फ़र्ज़ नहीं निभाने का पछतावा तो होना ही चाहिए। अधिकारी की आत्मा बोली काश आपने धरती पर अपना कोई विभाग खोला होता जो सब को आपकी सही सूचना और तथ्यात्मक जानकारी देता तो हम लोग भी सुधर गए होते। ये बात सुनकर भगवान ने अफ्सर रही आत्मा से विस्तार से इस पर चर्चा की है। और बहुत जल्दी ही भारत के हर शहर में भगवान अपना कार्यालय खोलने जा रहे हैं। भगवान का सूचना और जनसम्पर्क विभाग शुरू होने के बाद दुनिया में भगवान को लेकर सब गलतफहमियां दूर हो जाएंगी और धर्म के नाम पर धंधा करना भी संभव नहीं रहेगा। हर कोई भगवान से सीधे सम्पर्क कर सकेगा और इंसाफ में अंधेर नहीं होगा न ही देर ही। बस कुछ ही दिन में भगवान आमने सामने नहीं होने के बावजूद भी सब के साथ जुड़े रहेंगे। ठीक उसी तरह जैसे हम लोग सोशल मीडिया आदि से जुड़े रहते हैं आपस में चौबीस घंटे।
( कथा का पहला अध्याय समाप्त )
1 टिप्पणी:
Nice sir 👌👌
एक टिप्पणी भेजें