मई 19, 2017

अच्छे दिन आये हैं भजन ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

       अच्छे दिन आये हैं भजन ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया


      जनता को उसने भरोसा दिलवाया था , अगर उसको चुन लोगे तो अच्छे दिन लेकर आएगा। वो समझता था जनता से अभी तक सभी ने बस झूठे वादे ही किये हैं और चुनाव जीत कर वादे निभाना किसी ने याद रखा ही नहीं। जैसे हम सब समझते हैं हम तो भले आदमी हैं बाकी दुनिया बड़ी खराब है , उसी तरह की मानसिकता उस नेता की भी रही। और उसकी बड़ी बड़ी बातों का जादू चल गया और जनता ने उसको शासन की बागडोर संभलवा दी। उसने आते ही हर जगह अपनी पसंद के खास लोगों को राज्यों की सत्ता हासिल कर कुर्सी पर बिठा दिया। उसको यही लोकतंत्र लगता था , कल तक परिवारवाद की आलोचना करने वाला व्यक्तिवाद और अपने महिमामंडन में अपने को इस दुनिया का भगवान समझने लगा। करोड़ों रूपये जनता के खज़ाने से लुटा टीवी अख़बार और अपने प्रचार के बड़े बड़े पोस्टर्स लगवा दिए। स्वच्छता अभियान मेक इक इंडिया जाने क्या क्या तमाशा हर दिन करना उसकी आदत हो गई। देश भर में भृमण करता रहा मगर जनता की बदहाली को देखने को नहीं अपनी जय जयकार करवाने को रोज़ लाखों करोड़ों खर्च कर। विदेश यात्रा करता रहा अपने को विश्व के महान लोगों में शामिल कराने को। उस ने और उसके मनोनित सत्ता पर बैठे लोगों ने हर जगह कोई स्थान बना दिया जहाँ जाकर कोई अपनी पहचान बताकर शिकायत लिखवा सकता था। उसको पता था देश में सत्तर साल से प्रशासन और व्यवस्था कितनी लचर और संवेदनहीन हो चुकी है। मगर उसने उन्हीं अधिकारियों को खुद को भगवान कहलाने को पंडित मुल्ला मौलवी का रुतबा दे दिया। अब जो भी शिकायत करने आता उसकी शिकायत दर्ज कर उसको इक कागज़ दिया जाता जो बताता था अच्छे दिन आ गए हैं। अब खुश हो जाओ अब रोना मना है , आह भरना गुनाह है।

           जब साल दो साल तक कोई समस्या हल नहीं हुई और लोग अपनी दी अर्ज़ी पर करवाई नहीं करने की शिकयत करने लगे जबकि अधिकारी कागज़ों पर लिख चुके थे कोई करवाई करने की ज़रूरत ही नहीं अथवा शिकायत का समाधान किया जा चुका है। तब राजधानियों को ये रास नहीं आया और आदेश जारी किया गया कि जो फिर से शिकायत दर्ज करवाने आये उसकी जांच की जाएगी। ऐसे लोग नास्तिक हैं जो भगवान को नहीं पूजते या मानते। ऐसे विलाप की विरोध की आवाज़ को बंद कर तानाशाही जैसे हालात लाकर बताया गया है सब ठीक हो गया है। गरीबी भूख बेरोज़गारी कोई भी समस्या नहीं  रही। जिसको आसपास गंदगी दिखाई देती है स्वच्छत भारत नहीं दिखाई देता या सुशासन नहीं तानाशाही नज़र आती है वह बागी है देश का दुश्मन है। हर समस्या का समाधान हो गया है केवल इक बात कर के , कि अब कोई समस्या है बोलना मना है। सब को सुबह शाम अच्छे दिन आ चुके हैं का सरकारी भजन गाना ज़रूरी है।

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