डरने की क्या बात है , जब पिया साथ है ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
अरी पगली काहे को डरती हो , पिया चाहते हैं तुझे जब भरोसा है तो सज संवर लिया फिर धड़कन इतनी क्यों बढ़ी हुई है दिल काहे घबराता है। सखी समझाती है अब तो घड़ी है पिया आयेंगे बरात लेकर। मोदी जी और भाजपा जब आप जानते हैं आपने नोट बंदी जनता की भलाई के लिये की और देश से भ्र्ष्टाचार मिटाने को काला धन समाप्त करने को लिया ये कदम , इतना भी जानते जनता खुश है आपके साथ है फिर चुप किसलिए। जिन राज्यों में चुनाव हैं खुद कहें हमने पहली बार इतना सफल कार्य किया है। नये साल की पूर्व-संध्या को प्रधानमंत्री जी का संबोधन सुना सभी ने। कितने उपहार दिये उनहोंने हर नेता की तरह , किसे मिलते नहीं मिलते , कैसे मिलेंगे की फ़िक्र क्या। घोषणा करने से हमेशा सब होता रहा है , ये भी हो ही जायेगा , नहीं भी होगा तब भी आपको चुनाव जिता फायदा तो देगा ही। सभी नेताओं का ध्येय यही तो है , उसके बाद छाती ठोक कहना जनता ने सही समझा तभी जिताया है। बस चुनाव जीतो और जीत को प्रमाणपत्र बना लो अपनी हर बात का। बाकी दल यूं भी उलझे हुए हैं अपनी अपनी उलझनों में , आपका गणित खराब नहीं कर सकते। अब लोग आपकी सभाओं में भाषण ही सुन सकते हैं , सवाल तो नहीं कर सकते , तालियां बजा सकते हैं। कोई काले कपड़े तक पहन आपकी सभाओं में नहीं आ सकता आपकी सुरक्षा का ऐसा प्रबंध होता ही है , ताकि कोई काले झंडे नहीं दिखा सके विरोध प्रकट करने को। जब आपके लोकतंत्र में विरोध की आज़ादी ही नहीं तो किसकी मज़ाल है जो अपनी जान मुफ्त में गवाये। मर भी गये सौ लोग भीड़ में तो क्या हुआ , देश में आपके प्यारे सवासौ करोड़ बाकी तो हैं , हाज़िर हैं जनाब। आपका आदेश सर माथे।गर्भवती महिलाओं को पूरे छह हज़ार वो भी उस महिला के बैंक खाते में , सभी का खाता खुलवा दिया आपने। जिनका नहीं खुला वो जाने , मगर उन पैसों को निकाल सकती हैं ऐसी हालत में आज के हालात में गर्भवती महिलायें। बस पैसे हैं तो सब हो जाना है , हॉस्पिटल नहीं हैं दूर दूर तक , साफ पानी भी नहीं और आप इन पैसों से उनको जीवन देना चाहते हैं। प्रधानमंत्री हैं तो देश की दशा से वाकिफ ही होंगे क्या हाल है देश में स्वस्थ्य सेवाओं का , आपकी प्राथमिकता ही नहीं है। आप नेतओं के लिये स्वास्थ्य के लिए करोड़ों हैं और देश की जनता के लिये कितना कौन सोचता है , विश्व में हेल्थ पर सब से कम बजट देने वालों में हैं आपकी सरकार। आपकी सब से भली बात क्या थी भाषण में जानना चाहते हैं , सब को ईमानदार होने का पाठ पढ़ाने वाले कहते हैं राजनैतिक दलों से खुद अपने आप खुद को मुक्त करो जैसे पहले भी सभी दल ऐसा प्रयास करते रहे हैं। ये क्या था भद्दा मज़ाक गरीबों के साथ , अपने घर को छोड़ बाकी को साफ सफाई रखने को लताड़। पर आपका करिश्मा आपकी वाणी कितनी मधुर है , जनता मुग्ध है आप चिंता नहीं करें। जब पिया साथ तब डरने की क्या बात है , मुहावरा तो ठीक है , मगर पिया कौन हैं और डर किसको है यही समझना है।
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