जुलाई 06, 2016

POST : 513 मेरा सुंदर सपना टूट गया ( कड़वा सच ) डॉ लोक सेतिया

  मेरा सुंदर सपना टूट गया ( कड़वा सच ) डॉ लोक सेतिया

                     दो साल हो गये हैं इंतज़ार करते करते , जनता को वो अच्छे दिन कहीं दिखाई नहीं देते। दिखाई देते हैं तो बस नित नये सरकारी विज्ञापन। भ्र्ष्टाचार मिटा दिया है ऐसा नवीन विज्ञापन आया है , तब तो देश ईमानदार समझा जाना चाहिये , फिर क्यों आज भी वहीं का वहीं है सूचि में बहुत नीचे। भ्रष्ट देशों में प्रथम आने की ओर। किसी ने वादा किया था राक्षसों का अंत करने का , राक्षस जैसे थे वैसे ही हैं , शायद सरकार ने उनका नामकरण फिर से कर कोई और नाम दे दिया है। बस एक नारे से समस्या हल हो जाती है , अगर देशवासी कूड़ा नहीं करें तो कोई गंदगी नहीं कर सकता। कूड़े के ढेर लगे हैं और स्वच्छ भारत के विज्ञापन भी। विज्ञापन में टीवी पर जनता को शर्मसार किया जाता है गंदगी करने को , सफाई करना सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है , गंदगी मत करो का सबक पढ़ाना सरकार का काम है। लोग कूड़ा कहां डालें , शौच को कहां जायें ये सरकार का सरोकार नहीं है। रिश्वत बिना कोई काम नहीं होता तो क्या , आप रिश्वत दें ही नहीं रिश्वत का नामोनिशान मिट जायेगा , ऐसा विज्ञापन फिर से आना चाहिए। ये पहले भी हुआ था , दफ्तरों में रिश्वत नहीं देने की तख्तियां लगी थी। अब फिर से बापू के तीन बंदर सबक सिखायेंगे। गंदगी को मत देखो , भ्र्ष्टाचार है मत बोलो , सच कोई बोले कि सभी कुछ पहले सा ही है तो मत सुनो। लो जी अच्छे दिन आ गये हैं। बुरे दिन समाप्त नहीं हुए हैं , उन्हीं को अच्छे दिन घोषित कर दिया गया है। तानाशाही आज भी जारी है प्रशासन की सत्ताधारी नेताओं की , बस उसको लोकतंत्र नाम दे दिया है। बिना कुछ किये सभी कुछ हो गया है। चमत्कार है।
                          कुछ दोहे राजनीति के नाम पर :-

                             नतमस्तक हो मांगता मालिक उससे भीख
                             शासक बन कर दे रहा सेवक देखो सीख।

                             मचा हुआ है हर तरफ लोकतंत्र का शोर
                             कोतवाल करबद्ध है डांट रहा अब चोर।

                             नेता आज़माते रहे गठबंधन का योग
                              देखो मंत्री बन गये कैसे कैसे लोग।

                             झूठ यहां अनमोल है सच का ना व्योपार
                             सोना बन बिकता यहां पीतल बीच बाज़ार।

                             चमत्कार का आजकल अद्भुत है आधार
                             देखी हांडी काठ की चढ़ती बारम्बार।

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