सोचिए क्या आप वापस जाना चाहते हैं ( चिंतन ) डॉ लोक सेतिया
आजकल ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ मानवीय पक्ष की बात कहने पर अपशब्दों का उपयोग करते हैं और उनकी भाव भंगिमा हिंसक दिखाई देती है। जिनको लगता है कि भारत एक कट्टर हिंदू देश होना चाहिए और बाक़ी धर्म वालों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाना चाहिए जिन्हें इक डर और असुरक्षा की भावना से जीना चाहिए। ये बेहद खेद और चिंता की बात है कि पिछले कुछ सालों में इस मानसिकता को बढ़ावा मिला है और तमाम संकुचित सोच वाले लोगों की दबी छुपी आंकाक्षा उभर आई है। मगर हैरानी इस बात की है कि जिस हिंदू धर्म की ये बात कहते हैं उसको इन्होने न तो पढ़ा है और न ही समझा है। स्वामी विवेकानंद का नाम सुना है उन्होंने विदेश जाकर अपने धर्म और विचारधारा को जिस तरह समझाया और विदेशी लोगों को प्रभावित किया उस को नहीं पढ़ा न जानते हैं। आओ पहले उनकी बात को सुनते हैं जो बताते हैं कि हम उस विचारधारा हिंदुत्व से हैं जिसने हमेशा सभी अन्य धर्म के लोगों और उनकी बातों को अपनाया है।
क्या उनको बात से कोई असहमत हो सकता है। फिर भी जिनको लगता है उनको देश की हिंदुत्व की चिंता औरों से अधिक है और उनको किसी नेता की संकुचित मानसिकता पसंद है और बिना ये समझे कि देश और खुद उन्हीं के धर्म के लिए क्या उचित है जो किसी के अंधसमर्थक बने हैं जैसे कई लोग कभी किसी और के लिए यही समझते थे और . . . . . . इंडिया है और इंडिया . . . . . है कहते थे उनकी राह चलना चाहते हैं। उनको समझना होगा क्या विश्व आज सदिओं पुरानी गलतिओं को दोहरा सकता है और इसी तरह से अपने देश में किसी इक धर्म या वर्ग को स्थापित करने की बात कर सकता है। विश्व में कितने देशों में जो हिंदू सिख या अन्य धर्म वाले हैं उनको किनारे कर सकता है। क्या आप चाहते हैं बाकि देश भी इसी राह पर चल सके और उन देशों में रहने वाले हिंदू वापस देश आएं भले उनको यहां हासिल इक नफरत भरा समाज हो और कोई सुरक्षा देश की सरकार शिक्षा रोज़गार क्या शराफत से रहने को भी नहीं मुहैया करवाने को प्रतिबद्ध हो। जिस देश की राजनीति अपराधी सांसदों से भरी पड़ी हो और सत्ताधारी नेताओं को संगीन जुर्म करने पर सीबीआई तक बचाने का कार्य करती रही हो ये बाद देश की सबसे बड़ी अदालत को कहनी पड़ी है। अगर यही आपका हिंदू धर्म है जिस में भगवा धारण कर जो भी चाहे अपराध करने की छूट है तो आपको मुबारिक हो क्योंकि अपने ऐसे अपराधी नेताओं के खिलाफ कभी अपशब्द नहीं उपयोग किये मगर जो मानवता की बात कहते हैं उनको आप गाली देते हैं। नहीं देश को स्वामी विवेकानंद जी का हिंदू धर्म चाहिए उन का नहीं जिनको धर्म सत्ता की सीढ़ी लगता है।
आप विदेश जाते हैं कई जाकर बसना चाहते हैं मगर आपकी संकुचित विचारधारा हर देश अपनाये तो क्या आपका विदेश जाना संभव होगा और जाकर बसना तो दुश्वार ही हो जाएगा। इतना ही नहीं आपको अन्य देशों से कारोबार भी बंद करना होगा , न आपकी कोई वस्तु विदेश बिकेगी न आपको किसी देश से कुछ भी मिलेगा। ऐसे देश हैं जो चीन की तरह सब अपना बनाते हैं उनको फेसबुक गूगल या व्हाट्सएप्प की कोई ज़रूरत नहीं है उनके पास खुद अपने बनाये विकल्प हैं। अगर इस तरह धर्म या किसी अन्य आधार पर विश्व से अलग संकुचित मानसिकता से चले तो आपका जीवन कठिन हो जाएगा। आपके पास बहुत कुछ है जो भारत में नहीं बनता है यहां तक की जिस पटेल की मूर्ति की बात करते हैं इस आधुनिक युग में वो भी हम अपने देश में नहीं बना पाए न ही बुलेट ट्रैन खुद बनाने की बात करते हैं। सोचना आपके देश के जिस नेता की नीति को आप पसंद करते हैं उसको विश्व के पचास देशों की सैर करने की ज़रूरत क्या थी। अपने देश के गांव शहर को जाकर समझते देखते तो कुछ मकसद भी था। लेकिन वो क
ठिन था और जाते हैं तो भाषण देने को आम लोगों से कोई संवाद नहीं करते हैं। उनको चाहत है विश्व की शोहरत की जो देश के खज़ाने से धन बर्बाद कर मिलेगी नहीं क्योंकि सच्ची शोहरत वास्तविक आचरण से मिलती है। शोर विज्ञापन से कीमत चुकाकर कदापि नहीं।
आज जिस राह पर देश की सरकार चल रही है क्या पश्चिम देशों अमेरिका जापान जाकर कुछ बात कर सकते हैं। हम नहीं समझ सके पिछले पांच साल में करीब चार सौ करोड़ मोदी जी ने विदेशी सैर सपाटे पर जो खर्च किये उन से देश की अर्थव्यवस्था का कोई भला नहीं हुआ क्योंकि उनकी हर विदेशी यात्रा विदेशी सरकारों की शर्तों पर होती रही है। बहुत कीमत चुकाई है देश की जनता ने इक व्यक्ति की नाम और शोहरत की चाहत की। सबसे पहली बात हमारे देश की पहचान , सत्यमेव जयते , सच ही ईश्वर है की रही है। क्या कोई इनकार कर सकता है कि कभी किसी भी नेता ने उच्च पद पर रहते इतने झूठ नहीं बोले होंगे। सच धर्म है और झूठ पाप है। आपको सोचना है आपको किधर खड़े होना है।
आप विदेश जाते हैं कई जाकर बसना चाहते हैं मगर आपकी संकुचित विचारधारा हर देश अपनाये तो क्या आपका विदेश जाना संभव होगा और जाकर बसना तो दुश्वार ही हो जाएगा। इतना ही नहीं आपको अन्य देशों से कारोबार भी बंद करना होगा , न आपकी कोई वस्तु विदेश बिकेगी न आपको किसी देश से कुछ भी मिलेगा। ऐसे देश हैं जो चीन की तरह सब अपना बनाते हैं उनको फेसबुक गूगल या व्हाट्सएप्प की कोई ज़रूरत नहीं है उनके पास खुद अपने बनाये विकल्प हैं। अगर इस तरह धर्म या किसी अन्य आधार पर विश्व से अलग संकुचित मानसिकता से चले तो आपका जीवन कठिन हो जाएगा। आपके पास बहुत कुछ है जो भारत में नहीं बनता है यहां तक की जिस पटेल की मूर्ति की बात करते हैं इस आधुनिक युग में वो भी हम अपने देश में नहीं बना पाए न ही बुलेट ट्रैन खुद बनाने की बात करते हैं। सोचना आपके देश के जिस नेता की नीति को आप पसंद करते हैं उसको विश्व के पचास देशों की सैर करने की ज़रूरत क्या थी। अपने देश के गांव शहर को जाकर समझते देखते तो कुछ मकसद भी था। लेकिन वो क
आज जिस राह पर देश की सरकार चल रही है क्या पश्चिम देशों अमेरिका जापान जाकर कुछ बात कर सकते हैं। हम नहीं समझ सके पिछले पांच साल में करीब चार सौ करोड़ मोदी जी ने विदेशी सैर सपाटे पर जो खर्च किये उन से देश की अर्थव्यवस्था का कोई भला नहीं हुआ क्योंकि उनकी हर विदेशी यात्रा विदेशी सरकारों की शर्तों पर होती रही है। बहुत कीमत चुकाई है देश की जनता ने इक व्यक्ति की नाम और शोहरत की चाहत की। सबसे पहली बात हमारे देश की पहचान , सत्यमेव जयते , सच ही ईश्वर है की रही है। क्या कोई इनकार कर सकता है कि कभी किसी भी नेता ने उच्च पद पर रहते इतने झूठ नहीं बोले होंगे। सच धर्म है और झूठ पाप है। आपको सोचना है आपको किधर खड़े होना है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें