सितंबर 13, 2024

POST : 1884 उनकी प्यास उनका रोज़गार ( राजनीतिक कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया

उनकी प्यास उनका रोज़गार ( राजनीतिक कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया  

हमारा भारत देश महान है ये हमेशा से प्रमाणिक है आपको यकीन करना चाहिए शंका नहीं इस देश के तमाम राजनेता और सरकारी कर्मचारी अधिकारी ईमानदार हैं जनता के सेवक हैं । किसी ने भी अपने कर्तव्य को अनदेखा नहीं किया है कोई रिश्वत कोई घोटाला कोई जालसाज़ी किसी ने कभी की नहीं है झूठे साबित हुए हैं उन पर लगाए तमाम आरोप । उनकी निस्वार्थ सेवा से देश आगे बढ़ रहा है लोकतंत्र मज़बूत होता गया है गरीबी शिक्षा सुविधाएं स्वास्थ्य सेवाएं हर किसी को उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं । आपको किसी भी अख़बार किसी भी टीवी चैनल पर ऐसी खबरें सुनाई दिखाई नहीं देती हैं । राजनेताओं ने अपना सभी कुछ समाज को अर्पित कर दिया है खुद या परिवार के सदस्यों के लिए किसी को कुछ भी नहीं चाहिए लाभ का कोई पद नहीं बस सिर्फ जनसेवा देशसेवा का अवसर पाने की चाहत है । इन सभी ने मिलकर देश में सभी को समान अधिकार न्याय और सुरक्षा उपलब्ध करवा दी है , सत्ता पाने को बिना जल की मछली की तरह ये नहीं तड़पते हैं । लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर कर इन्होने परिवारवाद जातिवाद भाईचारा निभाने को कोई भी पक्षपात नहीं किया है । अपने बेटे बेटी दामाद पत्नी भाई भतीजे को सांसद विधायक मंत्री बनवाने की कोई कोशिश नहीं है क्योंकि ऐसा लोकतंत्र को खोखला करना है जानते हैं । अमरबेल की तरह सत्ता को जकड़ कर देश समाज को मिटाने का अपराध नहीं करते हैं । जाने कौन लोग हैं जिन्होंने सागर की तरह सभी नदियों का जल पी लिया है तब भी उनकी प्यास बढ़ती जा रही है । 
 
जब सभी कुछ मिलावटी है हवा प्रदूषित है जल स्वच्छ नहीं रहा ऐसे में किसी राज्य की साहित्य अकादमी ने सरकार से साहित्य को बढ़ावा और जागृति को करोड़ों रूपये स्वीकृति लेकर जल चेतना यात्रा निकाली है । पानी पर लिखी रचनाओं की बाढ़ सी आई इक विशेषांक निकाला गया जिस में शामिल रचनाओं को पुरुस्कार ईनाम इतियादी वितरित करने को सभाएं आयोजित कर पानी तक की प्यास बुझाई गई । कुछ पीने वालों ने शराब बिना कुछ मिलाये बोतल से पीने की शुरुआत कर कीर्तिमान स्थापित किया है । राज्यों में पानी के बटवारे को लेकर सियासी जंग का खेल कभी खत्म नहीं होने वाला ।  पानी का कोई रंग नहीं होता लेकिन रंग में भंग डालने वाले किसी को छोड़ते नहीं हैं । फ़िल्मी कलाकार पानी का महत्व समझा रहे हैं एयरकंडीशनर लगवा पानी बचा रहे हैं , दो बूंद पानी नहीं तो ज़िंदगानी नहीं गीत सुना रहे हैं । तारिकाओं को झरने तले नहलाते दिखला कोई और प्यास बढ़ा आग लगा रहे हैं । महानगर वाले स्विमिंग पूल में तैराकी सीख पानी का तापमान घटा बढ़ा स्नान का लुत्फ़ उठा रहे हैं । 
 
  शासक आधुनिक तौर तरीके आज़मा रहे हैं जनता को स्मार्ट फोन से जो चाहो मिलता है बता कर उलझा रहे हैं । रोज़ कितनी योजनाएं घोषित कर रहम खा रहे करम फरमा रहे हैं सब चमकती रेत से प्यास अपनी बुझा रहे हैं । लोग मुफ्त में सभी कुछ सरकारी ऐप्पस से पाकर घबरा रहे हैं आसमान छूने की चाहत में ज़मीन अपनी गंवाकर पछता रहे हैं । राजनीति सभी को समझा रही है शर्म इस बात की आती है चुनाव लड़ने की चाह करोड़ों की अधूरी रह जाती है । राजनीति अजब कारोबार है गली गली गांव गांव शहर शहर इसका विस्तार है दस को अवसर मिलता नब्बे बेरोज़गार है । साधारण जनता को अभी चाहिए लंबा सदियों तक  इंतिज़ार ही इंतिज़ार है चीखना चिल्लाना बेकार है नेताओं का खाली रहना रहना दो धारी तलवार है । देखा है हर राजनैतिक दल का खुला शोरूम है , बंद दरवाज़े में खैरात मिलती है कली दिल की खिलती है ज़िंदगी को इस जगह मोहलत नहीं मिलती है । इक सौ चालीस करोड़ जनता लुटने को तैयार है उसका नहीं कोई हिसाब नहीं लेकिन लूटने का अधिकार बहुत थोड़े नेताओं अधिकारियों को हासिल है । जनता को भीख मिलना बड़ी तकदीर की बात है सूखा मचाती बरसात है , नेताओं में दूल्हा है संग संग बारात है ।
 
राजनीति जैसे झुलसता हुआ रेगिस्तान है तिनके तिनके में छुपा हुआ तूफ़ान है । हर राजनेता की किसी तोते में रहती जान है जब तलक जान है जहान है अधूरा सभी का रहता अरमान है । सत्ता की हवेली दुनिया का सबसे शानदार श्मशान है ज़िंदा रहता खुद मरता है कितना नादान इंसान है । राजनीति की अजीब इक कहानी है मातम भी मनाना है बस्ती भी जलानी है पानी को आग लगाकर तस्वीर सजानी है ।
 
 
 
 Panaghat in 3 bighas and Agore in 1200 bighas, glass-like water appears on  the floor on the border of two villages. | धोरों के बीच बसे गांवाें से  तस्वीर: दो गांवों की